भारत की कूटनीतिक जीत, आखिर पायलट को छोड़ने पर क्यों मजबूर हुआ पाकिस्तान?

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दिल्ली। पाकिस्तान की भारत को ब्लैकमेल करने की नापाक कोशिश पूरी तरह नाकाम हो गई. विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान (Abhinandan) को वापस करने पर पड़ोसी मुल्क को मजबूर कर दिया. भारत के लगातार आक्रामक सैन्य तैयारी और कूटनीतिक तेवर का नतीजा है कि पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को अपनी संसद के संयुक्त सत्र में इस बात का ऐलान करना पड़ा. इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि बात-बात पर एटम बम की धमकी देने वाला पाकिस्तान कितना मजबूर होगा.

पाकिस्तान ने टेका घुटना

अभिनंदन (Abhinandan) मामले में पाकिस्तान कितना मजबूर था इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार को संसद को संबोधित करते हुए कहा कि ”हमने भारत को चिट्ठी लिखी कि विदेश मंत्रियों को मिलना चाहिए लेकिन हमें बेहतर जवाब नहीं मिला”.

संसद के संयुक्त सत्र में इमरान खान ने कहा कि ”मैंने मोदी को कल (बुधवार) को फोन करने की कोशिश की ताकि हम बता सकें. लेकिन वे नहीं चाहते कि बात हो. हमारी सारी कोशिश है कि तनाव कम हो”.

बात यहीं नहीं रुकी सूत्रों की मानें तो सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की तरफ से भी दोनों तरफ के नेताओं से बात हुई. उनके प्रतिनिधि ने प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात की. ब्रिटेन की तरफ से दोनों पक्षों से बात की गई. मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विंग कमांडर अभिनंदन (Abhinandan) की सुरक्षित रिहाई से कम पर कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे.

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इमरान खान द्वारा रिहाई की घोषणा से करीब तीन घंटे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने वियतनाम में कहा कि ”हम भारत-पाकिस्तान को रोकने की कोशिशें कर रहे हैं, और हमें कुछ अच्छी खबर मिलेगी. मुझे उम्मीद है कि लंबे समय से कायम तनाव खत्म होगा. भारत-पाक के बीच काफी असहमति है”.

मोदी सरकार की कूटनीतिक जीत ही है कि पाकिस्तानी बंदी बनाए किसी भारतीय सैन्य अधिकारी (Abhinandan) को इतनी जल्दी छोड़ने को तैयार हुआ है. इससे पहले 1999 में कारगिल वॉर के वक्त फ्लाइट लेफ्टिनेंट के. नचिकेता को पाकिस्तान ने लौटाने में आठ दिन लगा दिए थे. जबकि स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा को गिरफ्तार करने के बाद गोली मार दी गई थी.

रिहाई से कम मंजूर नहीं

दरअसल भारत ने पाकिस्तान की कोई भी शर्त मानने से साफ इनकार कर दिया था. साफ लहजे में इस्लामाबाद को ये मैसेज दे दिया गया था कि अभिनंदन (Abhinandan) की रिहाई बिना शर्त होनी चाहिए. इस मामले में शुरू से ही भारत ने पाकिस्तान से कोई डील नहीं की. अभिनंदन मसले पर गुरुवार दोपहर पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि ”यदि भारत तनाव घटना का वादा करे तो भारतीय पायलट (Abhinandan) की रिहाई की जा सकती है”. मगर पाकिस्तान के बारगेनिंग एटीट्यूड में भारत बिल्कुल नहीं आया. भारत ने सख्त लहजे में चेतावनी दी कि अगर अभिनंदन को कुछ हुआ तो उसके बेहद गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.

शानदार कूटनीतिक प्रदर्शन

पुलवामा आतंकी हमले और अभिनंदन (Abhinandan) वर्धमान की रिहाई मामले में भारत ने बड़े ही शानदार कूटनीति का प्रदर्शन किया. पूरे मसले पर पाकिस्तान के रहनुमा बने चीन के साथ-साथ अमेरिका-रूस सहित दुनिया के दूसरे ताकतवार देशों को अपने समर्थन में लिया. ऐसे में अपने पायलट के पाकिस्तान के कब्जे में पहुंचने के बाद युद्धबंधियों के लिए बने कानून जेनेवा कनवेंशन की भी याद दिलाई और अच्छा सलूक करने को कहा. पाकिस्तान ने भारत के सैन्य ठिकानों के निशाना बनाने की कोशिश की थी इसलिए उसके समर्थन में कोई भी देश नहीं आया. जेनेवा कनवेंशन के मुताबिक अगर युद्ध बंदी (Abhinandan) को कोई देश नहीं छोड़ता है तो इसे युद्ध को भड़काने वाली कार्रवाई माना जाता है.

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