‘अच्छे दिन आए रे’ को ‘महंगाई डायन खाय जात है…’

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'अच्छे दिन आए रे' को 'महंगाई डायन खाय जात है...'

'अच्छे दिन आए रे' को 'महंगाई डायन खाय जात है...'

दिल्ली। यहां सब सियासत है। डीमॉनेटाइजेशन ने मतलब साधा, अब कार्ड पर कैशबैक हुआ आधा। उल्टी-दस्त ने जब छीना चैन तो गुजरात में हुआ गोलगप्पा बैन। एक्सप्रेस वे धंसा तो पौ फटा। पहले आधार को ताना अब एनआरसी से निशाना। सिद्धू की ‘पाक’ तैयारी के बाद विदेश मंत्रालय की ना-पाक-ना-मोदी पर दनिया भर की अटकलें। सब सियासत है। कांग्रेस ने जब पूछना चाहा कि अच्छे दिन कब आएंगे? तबतक सारा का सारा बदल डाला…फिलहाल जो गाना ट्रेंड कर रहा है वो है ‘अच्छे दिन आए रे’।

‘अच्छे दिन आए रे’

पुराने के साथ-साथ नया गाना भी लॉन्च हो चुका है. पहले से था या बाद में अवतरित हुआ, पता नहीं. हालांकि फिल्मवालों का कहना है कि पहले से दोनों था. मगर कांग्रेस के दिग्गी राजा चुप नहीं रहे। गाने के पूराने वर्जन पर बीजेपी पर जोरदार तंज कसा और गाने के बोल ‘अच्छे दिन कब आएंगे..?’ को 2019 चुनावों में बीजेपी का नया स्लोगन करार दे डाला। फिर क्या था ट्वीटर संग्राम छिड़ गया।

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हालांकि इस पूरे मामले को यूपीए सरकार के वक्त रिलीज हुई फिल्म ‘पीपली लाइव’ के गाने ‘महंगाई डायन खाय जात’ से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि तब तत्कालीन विपक्ष (बीजेपी) ने ‘महंगाई डायन’ को खूब भुनाया लेकिन इस बार लग रहा है कांग्रेस इसे पूरी तरह भूना नहीं पा रही।

‘महंगाई डायन खाय जात है…’

मने तब भी बीजेपी का महंगाई भोंपू खूब बजा और अब भी बीजेपी कांग्रेस के तंज पर जवाब देने में पीछे नहीं। जीवीएल नरसिम्हा राव ने दिग्विजय सिंह के बयान को कांग्रेस की बौखलाहट करार दिया है। ये अलग बात है कि कभी-कभी चुप रहनेवाला ज्यादा समझदार कहलाता है. फिर बात चाहें प्रियंका चोपड़ा की शादी की ही क्यों न हो?

खैर इतना तो तय है कि इमरान भले ही अपनी ताजपोशी में किसी विदेशी राजनयिकों को नहीं बुलाएं लेकिन योगी सरकार अखिलेश से सरकारी संपत्ति में तोड़फोड़ के बदल 10 लाख की रिकवरी करने में कोई मौका नहीं जाने देगी। सब सियासत है और हो भी क्यों ना,,, जब ‘अच्छे दिन आए रे’ को ‘महंगाई डायन खाय जात है…’ तो ना-पाक-ना-मोदी पर दुनिया भर की अटकलें लगेंगी ही। आखिरकार सब सियासत जो है…

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