क्या है बेगूसराय की कहानी? क्यों कहा जाता है ‘पूरब का लेनिनग्राद’?

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begusarai giriraj singh kanhaiya kumar and tanveer hasan

पटना। बेगूसराय जिला गंगा नदी के किनारे पर बसा है. सिमरिया घाट यहां का सबसे पवित्र स्थान माना जाता है. भागलपुर की बेगम तीर्थयात्रा पर एक महीने के लिए सिमरिया घाट आती थीं. आगे चलकर बेगम (रानी) + सराय (तीर्थ के लिए ठहरने वाला जगह) मिलकर बेगूसराय बन गया. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बेगूसराय कितना अहम जगह होगा. 1972 से पहले ये मुंगेर का हिस्सा हुआ करता था. मगर आजकल इसकी सबसे ज्यादा चर्चा कन्हैया कुमार (Kanhaiya kumar) की वजह से है.

करीब 2 लाख CPI के कैडर वोटर

सीपीआई के उम्मीदवार कन्हैया कुमार (Kanhaiya kumar) के लिए प्रचार करने के लिए वैसे बहुत से लोग आ रहे हैं जिनकी कभी कन्हैया कुमार से मुलाकात तक नहीं हुई थी. वैसे बेगूसराय लेफ्ट के लिए हमेशा उर्वर जमीन रही है. 1930 के दशक में यहां भूमिहीन किसानों ने विद्रोह किया था. इस विद्रोह में किसानों ने स्थानीय जमींदारों की जमीन पर कब्जा कर लिया था. इसी वजह से इसे ‘पूरब का लेनिनग्राद’ कहा जाता है. यहां आज भी सीपीआई कैडर भरे पड़े हैं. पार्टी जीते या हारे वो उसी को ही वोट देते हैं. जातीय गुणा-गणित में हालांकि ज्यादातर बार पार्टी को हार का सामना करना पड़ता है. मगर सीपीआई का यहां करीब डेढ़ से दो लाख कैडर वोटर हैं. जिसके दम पर कन्हैया (Kanhaiya kumar) गिरिराज सिंह से मुकाबला कर रहे हैं.

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जातीय उभार के साथ कम हुआ असर

बेगूसराय में सीपीआई भले ही सिर्फ एक बार लोकसभा चुनाव जीत पाई है, जब 52 साल पहले 1967 में योगेंद्र शर्मा ने यहां लाल परचम लहराया था. लेकिन विधानसभा चुनावों में ये लेफ्ट का गढ़ रहा है. 90 के दशक में जब लालू प्रसाद का उभार हुआ तो जातीयता का भी उभार हुआ और लालू प्रसाद ने अपने सियासी उत्थान में इसे खूब भुनाया. लेफ्ट का असर कम होता गया. आज भी उनकी पार्टी और बेटे-बेटियां जातीयता को भूना रही है. यही वजह है कि बिहार की सीटों पर तमाम पार्टियां जाति के हिसाब से कैंडिडेट उतारती है.

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बेगूसराय का तेघड़ा ‘मिनी मास्को’

1995 तक बेगूसराय की 7 विधानसभा की सीटों में से 5 पर लेफ्ट का कब्जा रहा. बेगूसराय लोकसभा सीट के तहत चेरिया, बरियारपुर, बछवाड़ा, तेघड़ा, मटिहानी, साहेबपुर कमाल, बेगूसराय और बखरी सीटें हैं. इनमें बछवाड़ा और तेघड़ा लेफ्ट का मजूबत गढ़ रहा है. तेघड़ा को ‘मिनी मास्को’ तक कहा जाता है. 1962 में चंद्रशेखर सिंह यहां से विधायक बने थे. तब से 2010 तक तेघड़ा ने लेफ्ट को ही अपना विधायक चुना. बेगूसराय और बिहार में सीपीआई को खड़ा करने का श्रेय चंद्रशेखर सिंह को जाता है. चंद्रशेखर सिंह सीपीआई उम्मीदवार कन्हैया कुमार (Kanhaiya kumar) के परिवार से आते थे. कन्हैया (Kanhaiya kumar) के दादा और चंद्रशेखर सिंह दोनों भाई थे. यानी कन्हैया (Kanhaiya kumar) के चचेरे दादा थे चंद्रशेखर सिंह.

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