बेगूसराय: जातीय गुणा-गणित में आखिर क्यों फिट नहीं बैठ रहे कन्हैया?

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caste equation in begusarai giriraj singh kanhaiya kumar

दिल्ली। कन्हैया कुमार और गिरिराज सिंह (Giriraj singh) की वजह से बेगूसराय सीट की चर्चा देश दुनिया में हो रही है. कहा जा रहा है कि एक तरफ देशभक्त हैं तो दूसरी तरफ देशद्रोह का आरोपी. एक तरफ वो है जो बात-बात पर पाकिस्तान भेजने की बात करता है तो दूसरी तरफ वो है जो हर बात के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराता है. लोकतांत्रिक मूल्यों की बात करता है. ऐसे में इस सीट का जातीय गणित और इतिहास जानना जरूरी हो जाता है.

बेगूसराय सीट का इतिहास

बेगूसराय संसदीय सीट कभी कांग्रेस का मजबूत गढ़ था. 1967 में पहली बार सीपीआई के योगेंद्र शर्मा ने इसे कांग्रेस से छीना था. हालांकि 1971 के बाद 1984 तक ये सीट कांग्रेस के पास रही. 1989 में जनता दल के ललित विजय ने यहां से जीत हासिल की. दो साल बाद 1991 में फिर कांग्रेस के कृष्णा शाही ने जीत हासिल की. (Giriraj singh) 1996 में सीपीआई नेता रमेंद्र कुमार निर्दलीय यहां से सांसद बने. आखिरी बार कांग्रेस के लिए 1998 में राजो सिंह ने इसे जीता था. तब से 21 साल हो गए कांग्रेस को बेगूसराय से जीत का इंतजार है.

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सीपीआई की तरह बीजेपी भी बेगूसराय सीट पर सिर्फ एक बार जीत दर्ज की है. 2014 में भोला सिंह ने आरजेडी के तनवीर हसन को हराया था. 2009 में मोनाजिर हसन और 2004 में जेडीयू के ही राजीव रंजन सिंह ने जीत हासिल की थी. हालांकि दोनों ही बार जेडीयू एनडीए की हिस्सा थी.

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किस जाति के कितने वोटर?

बेगूसराय में करीब 19 लाख वोटर हैं. इनमें अकेले भूमिहार वोटरों की तादाद करीब साढ़े 4 लाख है. यहां के भूमिहार कभी सीपीआई के साथ थे. यहां से लेफ्ट के प्रमुख नेता भी भूमिहार जाति से ही रहे हैं. इस बार सीपीआई कैंडिडेट कन्हैया कुमार भी भूमिहार हैं. हालांकि पिछले कुछ चुनावों से भूमिहार जाति (Giriraj singh) के वोटरों का रूझान बीजेपी की तरफ हो गया है. बेगूसराय में ब्राह्मण, राजपूत, कायस्थ मिलाकर गैर-भूमिहार सवर्ण मतदाता करीब पौने 2 लाख हैं. मुस्लिम मतदाताओं की तादाद करीब ढाई लाख है. यादव मतदाता करीब डेढ़ लाख हैं. कुर्मी मतदाता 2 लाख और दलित वोटर ढाई लाख हैं.

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बेगूसराय में किसकी लगेगी लॉटरी?

बीजेपी उम्मीदवार गिरिराज सिंह (Giriraj singh) भूमिहार, गैर-भूमिहार सवर्ण मतदाता, कुर्मी और दलित वोटों की बदौलत लगभग निश्चिंत दिख रहे हैं. सीपीआई के कन्हैया कुमार भूमिहार वोटरों की सेंधमारी में लगे हैं. आरजेडी के तनवीर हसन मुस्लिम और यादव वोटों के साथ-साथ कुशवाहा और दूसरे पिछड़े वर्गों के वोटों के सहारे दिल्ली का सफर तय करने की फिराक में हैं.

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