ISRO ने ऊंचा किया भारत का नाम, PSLV-C43 की मदद से 8 देशों के सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे

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दिल्ली। अंतरिक्ष में भी भारत इसरो की वजह से अपना धाक जमा रही है। भारत ने इसरो की मदद से एक और कामयाबी अपने नाम कर ली है। इसरो ने श्रीहरिकोटा से PSLV-C43 रॉकेट का सफल प्रक्षेपण कर लिया है। यह रॉकेट पृथ्वी का निरीक्षण करने वाले भारतीय सैटेलाइट एचवाईएसआईएस और 30 अन्य सेटेलाइटों को अपने साथ अंतरिक्ष में ले गया है, जिनमें 23 अमेरिका के हैं।

धरती के चप्पे-चप्पे पर नजर

दरअसल, आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसरो ने हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट लॉन्च किया। इस सैटेलाइट को PSLV-C43 द्वारा लॉन्च किया गया है। इसके साथ ही इसरो ने अलग-अलग देशों के 29 सैटेलाइट स्पेस में भेजे हैं। इसरो द्वारा भेजे गए 29 सैटेलाइटों में से 23 सैटेलाइट अमेरिका के हैं।

इसरो ने PSLV-C43 की मदद से आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 9 बजकर 58 मिनट में छोड़ा गया। इसमें कुल आठ देशों के हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट हैं। इसरो का PSLV-C43 के जरिए किया 45वां उड़ान है। भारत का हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट इस मिशन का प्राथमिक सैटेलाइट है। इमेजिंग सैटेलाइट पृथ्वी की निगरानी के लिए इसरो द्वारा विकसित किया गया है।

112 मिनट में मिशन पूरा

इसरो की तरफ से कहा गया है कि यह उपग्रह 636 किमी ध्रुवीय समन्वय कक्ष में 97.957 डिग्री के झुकाव के साथ स्थापित किया जाएगा। उपग्रह की अभियानगत आयु पांच साल है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि एचवाईएसआईएस का प्राथमिक लक्ष्य इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वर्ण पट के समीप इंफ्रारेड और शार्टवेव इंफ्रारेड क्षेत्रों में पृथ्वी की तरह का अध्ययन करना है।

इसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कोलंबिया, फिनलैंड, मलेशिया, नीदरलैंड और स्पेन के उपग्रह शामिल हैं। वहीं PSLV-C43 की लंबाई 44 मीटर है। इसमें कुल 11 सैटेलाइट हैं, जिनका कुल वजन 261.5 किलोग्राम है। 112 मिनट में यह मिशन पूरा हो जाएगा।

इसरो क्या है?

ISRO ने ऊंचा किया भारत का नाम

वहीं, आपके मन में हमेशा ये सवाल रहता होगा कि इसरो क्या है। दरअसल, 1962 में भारत सरकार के द्वारा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति का गठन हुआ, उसी दौरान भारत ने अंतरिक्ष में जाने का निर्णय लिया। इसरो की स्थापना 15 अगस्त 1969 को हुई है। इसका मुख्यालय बेंगलुरु में हैं। संस्थान में करीब 17 हजार कर्मचारी और वैज्ञानिक कार्यरत हैं। संस्थान का मुख्य काम भारत के लिए अंतरिक्ष संबंधी तकनीक उपलब्ध करवाना है।

इसरो की सबसे उपलब्धि तब सामने आई जब भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट जो 19 अप्रैल 1975 को सेवियत संघ के द्वारा शुरू किया गया था यह गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था। इसने 5 दिन बाद ही काम करना बंद कर दिया था। लेकिन 7 जून 1979 को भारत ने दूसरा उपग्रह भास्कर को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया। फिर 1980 में रोहिणी उपग्रह पहला भारतीय-निर्मित प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बन गया जिसे कक्षा में स्थापित किया गया।

मंगलयान की कामयाबी

आज इसरो की बदौलत भारत न सिर्फ अपने अंतरिक्ष संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है बल्कि दुनिया के बहुत से देशों को अपनी अंतरिक्ष क्षमता से व्यापारिक और अन्य स्तरों पर सहयोग कर रहा है। इसरो चंद्रमा की परिक्रमा, चंद्रयान-1 22 अक्टूबर 2008 और एक मंगल ग्रह की परिक्रमा, मंगलयान है, जो सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश कर 24 सिंतबर 2014 को भारत ने अपने पहले ही प्रयास में सफल होने वाला पहला राष्ट्र बना।

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