मुगलसराय का नाम बदलकर पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन क्यों किया गया?

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अब पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन

अब पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन

दिल्ली। 1862 में मुगलसराय स्टेशन का निर्माण हुआ था. समय के साथ जंक्शन में तब्दील हुआ. एक के बाद दूसरा विकास होता चला गया. भीड़भाड़ बढ़ने लगी तो और विस्तार किया गया. ईस्ट इंडिया कंपनी जब हावड़ा और दिल्ली को रेल रूट से जोड़ रही थी इस स्टेशन को एक अहम कड़ी के तौर पर विकसित किया गया. अपने निर्माण के बाद वैसे तो मुगलसराय जंक्शन कई बार चर्चा में आया, मगर इस बार इसका नाम बदल दिया गया. इसकी वजह दीनदयाल उपाध्याय से जुड़ी हुई है.

अब पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन

निर्माण के 106 साल बाद यानी 11 फरवरी 1968 को मुगलसराय जंक्शन के पास पंडित दीनदयाल उपाध्याय पोल संख्या 1,276 के पास रहस्यमय हालात में मृत पाए गए थे. लखनऊ से पटना जाने के लिए पठानकोट-सियालदह एक्सप्रेस में सवार हुए थे मगर होनी को कुछ और मंजूर था. तब दीनदयाल उपाध्याय जनसंघ (मौजूदा भारतीय जनता पार्टी) के बड़े नेता हुआ करते थे. उस वक्त देश में कांग्रेस की सरकार थी. कई जांच से गुजरने के बाद भी दीनदयाल उपाध्याय की मौत आज भी एक मिस्ट्री की तौर पर जानी जाती है.

मथुरा के नगला चंद्रभान में जन्म

पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा के नगला चंद्रभान गांव में हुआ था. उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई राजस्थान के सीकर में की. उन्होंने इंटरमीडिएट की डिग्री विशेष योग्यता के साथ पास की. कानपुर में ग्रेजुएशन की डिग्री ली. एमए की पढ़ाई आगरा में पूरी की. इस दौरान 1937 में वो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए. 1955 में वो संघ की तरफ से उत्तर प्रदेश के प्रांत प्रचारक नियुक्त किए गए. उन्होंने लखनऊ में राष्ट्र धर्म प्रकाशन नाम की संस्थान की शुरुआत की. फिर ‘राष्ट्र धर्म’ नाम की मासिक पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया. 1953 से 1968 तक पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ के कद्दावर नेता रहे.

‘एकात्म मानववाद’ के दर्शन दिए

पंडित दीनदयाल उपाध्याय का मानना था कि हिन्दू कोई धर्म या संप्रदाय नहीं बल्कि भारत की संस्कृति है. वे अखंड भारत के समर्थक रहे. उन्होंने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को परिभाषित किया. कहा जाता है कि उपाध्याय ने ही ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की अवधारणा दी थी.

‘एकात्म मानववाद’ का दर्शन पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने ही दी. जिसके मुताबिक व्यक्ति, व्यक्ति से जुड़ा हुआ एक घेरा परिवार, परिवार से जुड़ा हुआ एक घेरा समाज, जाति, फिर राष्ट्र, विश्व और फिर अनंत ब्रह्मांड को अपने में समाविष्ट किए है. इस अखंडमंडलाकार आकृति में एक से दूसरे, फिर दूसरे से तीसरे का विकास हो जाता है. सभी एक-दूसरे से जुड़कर अपना अस्तित्व साधते हुए एक-दूसरे के पूरक और स्वभाविक सहयोगी है. इनमें कोई संघर्ष नहीं है.

एकात्म मानववाद का संदेश देनेवाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर उत्तर प्रदेश के मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन रखा गया.

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