प्रोफेसर मटुकनाथ का ढाई अक्षर प्रेम बनाम एक तिहाई सैलरी

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ढाई अक्षर प्रेम बनाम एक तिहाई सैलरी

पटना। पिछले बारह सालों से प्रेम की प्रासंगिकता तय करते प्रोफेसर मटुकनाथ ने प्रेम की नई परिभाषा गढ़ने की पुरजोर कोशिश की, मुंह पर कालिख पुतवाया….मार भी पड़ी… बखिया तक उधड़ी…लेकिन उसे भी सिलकर लव गुरु बन गए मटुकनाथ…

लेकिन जिसे उन्होंने विरह दी, उसने आखिरकार उन्हें प्रेम की वेदना समझा ही दी।

ढाई अक्षर प्रेम बनाम एक तिहाई सैलरी

दस सालों तक केस लड़ने के बाद मटुकनाथ की पत्नी आभा चौधरी को न्याय मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर मटुकनाथ को हर महीने अपनी सैलरी का एक तिहाई हिस्सा गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।

रिटायर होने के बाद भी पेंशन का एक तिहाई हिस्सा उनकी पत्नी को मिलता रहेगा। पैसों का ट्रांसफर सुनिश्चित हो इसके लिए विभाग सीधे ही ये रकम उनकी पत्नी के अकाउंट में ट्रांसफर कर सकेगा।

इतना ही नहीं, निचली अदालत के आदेश का पालन करते हुए मटुक नाथ को दिसंबर 2018 तक की बकाया रकम भी देनी होगी। ये रकम तकरीबन साढ़े आठ लाख रुपये है….

साथ ही तीन हफ्ते के भीतर एक दूसरे के खिलाफ सारे केस वापस लेने का भी निर्देश कोर्ट ने दिया है।

मटुकनाथ की प्रेम वेदना

प्रोफेसर को कोर्ट के फैसले से दुख आज भी नहीं, उन्हें निराशा इस बात की है कि उनकी प्रेम परिभाषा जो अभी कौमा, डॉट-डॉट के ब्रेकर से अटक रही थी उसपर पूर्ण विराम लगता दिख रहा है…और यही प्रोफेसर की प्रेम वेदना है,, उनके प्यार का क्लाइमेक्स,, उनके सात फेरों की फांस।

दरअसल, कोर्ट के फैसले और अंतरिम सुलह के बाद भी मटुकनाथ की पत्नी ने उन्हें तलाक नहीं दिया है…न वो उनके साथ रहने को इच्छुक हैं और न कभी तलाक देने को।

प्रेम में क्या-क्या नहीं बने मटुकनाथ

कहते हैं प्रेम व्यक्ति को शायर बना देता है…और दर्द के साथ ही उनके शेर में वजन भी बढ़ता है…लेकिन प्रोफेसर पहले से कवि बन चुके हैं….लेखन में भी हाथ आजमा लिया है,

लव गुरु का स्वयं सिद्ध खिताब ले चुके हैं….और हाल-फिलहाल सुर-ताल का राग छेड़ते म्यूजिक वर्ल्ड में लॉन्च होना चाहते हैं, लेकिन प्रेम रस में पत्नी वेदना का घालमेल उन्हें किधर ले जाएगा और आगे अब क्या करेंगे प्रोफेसर मटुकनाथ, ये देखना दिलचस्प होगा।

क्या है मामला

प्रोफेसर मटुकनाथ पटना यूनिवर्सिटी में हिंदी के प्रोफेसर हैं और अपनी उम्र से 30 साल छोटी छात्रा के साथ लिव-इन में रहने लगे थे। इतना ही नहीं 2004 में उन्होंने अपनी पत्नी को छोड़ दिया।

इसके बाद उनकी पत्नी आभा चौधरी पिछले 10 सालों से अपने हक के लिए लड़ रही हैं, ताकि उनको अपना जीवन गुजारने के लिए गुजारा भत्ता मिल सके। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मटुकनाथ की पत्नी को कहा कि वो बदनामी न सहें, क्योंकि जब मटुकनाथ रिटायर हो जाएगा तो पीछा छुड़ाने की कोशिश भी कर सकता है..

इसपर मटुकनाथ की पत्नी ने कोर्ट से अगले मंगलवार तक का वक्त मांगा है ताकि वो इस सुझाव पर अपना पक्ष रख सके…लेकिन मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा है कि वो मटुकनाथ के साथ नहीं रहना चाहती लेकिन उन्हें तलाक भी नहीं देंगी।

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