मुजफ्फरपुर कांड: ‘चाचा’ शर्मिंदा हैं, मगर ‘भतीजे’ का खून खौल रहा है

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मुजफ्फरपुर कांड: 'चाचा' शर्मिंदा हैं, मगर 'भतीजे' का खून खौल रहा है

मुजफ्फरपुर कांड: 'चाचा' शर्मिंदा हैं, मगर 'भतीजे' का खून खौल रहा है

दिल्ली। बिहार में हुए मुजफ्फरपुर शेल्टर सेक्स स्कैंडल मामला सियासी अखाड़ा बन गया है. नीतीश कुमार पहले ही कह चुके हैं कि वो इस मामले को लेकर शर्मिंदा हैं. मगर जंतर-मंतर पर तेजस्वी यादव ने कहा कि पूरे मामले पर उनका खून खौल रहा है. राष्ट्रीय जनता दल इसे मामले को सियासी अखाड़े में उतार दिया है. दिल्ली के जंतर-मतर पर दिन भर विपक्षी नेताओं का जमावड़ा लगा रहा. जमकर भाषणबाजी हुई. फिर बाद में कैंडल मार्च निकाला गया.

‘खून खौल रहा है’

आरजेडी समेत कई विपक्षी पार्टियों के नेता और समर्थक जंतर-मंतर जुटे. तेजस्वी यादव के साथ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जेडीयू से अलग हुए शरद यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सीपीआई नेता डी राजा शामिल हुए.

जंतर-मंतर पर तेजस्वी यादव ने कहा कि पीड़ित बच्चियों को बदला जा सकता है. नीतीश सरकार इन बच्चियों को कहां छुपा रखी है. किसी को इसकी जानकारी नहीं है. उन्होंने इन बच्चियों को दिल्ली लाने और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मामले की जांच कराने की मांग की. जो बच्चियां दरिंदों के बारे में जानती उन्हें सबसे पहले दूसरे शेल्टर होम में शिफ्ट किया गया.

नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए तेजस्वी ने कहा कि आज बिहार में जंगल राज नहीं, बल्कि राक्षस राज चल रहा है. सत्ता के करीबी लोगों ने बेसहारा बच्चियों के साथ लगातार अत्याचार किया. बेसहारा बच्चियों के साथ दरिंदगी करनेवालों को सत्ता से संरक्षण मिलता रहा. मुजफ्फरपुर की घटना से खून खौलता है. हम समाज के जिंदा लोग हैं. आज हम दिल्ली पहुंचे हैं क्योंकि हमारे चाचा (नीतीश कुमार) की अंतरआत्मा नहीं जागती है.

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‘देश में अजीब-सा माहौल’

राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल एक साथ मंच पर नजर नहीं आए. राहुल गांधी के पहुंचने पहले अरविंद केजरीवाल भाषण देकर निकल गए. जंतर-मंतर पहुंचे कांग्रेस अधयक्ष राहुल गांधी ने कहा कि एक तरफ आरएसएस और बीजेपी की सोच और दूसरी तरफ पूरे हिन्दुस्तान की सोच है. देश के माहौल अजीब सा बन गया है. कमजोर लोगों पर खुलेआम हमला हो रहा है.

हम देश की महिलाओं के साथ खड़े हैं. अगर इस मामले में नीतीश कुमार को शर्म आ रही है तो उनको जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए. यहां सिर्फ मुजफ्फरपुर कांड की पीड़ित 40 बच्चियों के लिए ही नहीं, बल्कि हिन्दुस्तान की हर महिला और बच्ची के लिए यहां आए हैं.

अरिवंद केजरीवाल ने कहा कि मुजफ्फरपुर के दोषियों के खिलाफ मुकदमा चलाकर उनको तीन महीने में फांसी दी जाए. इस मामले में बच्चियों से बलात्कार करनेवालों से ज्यादा सत्ता पर बैठे लोग जिम्मेदार हैं, जिनकी जानकारी में ऐसा घृणित कृत्य होता रहा. सरकार की जानकारी में बच्चियों से बलात्कार होता रहा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. दोषी चाहे जितना भी ताकतवर हो, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. यहां हम न्याय मांगने आए हैं, कोई राजनीति करने नहीं आए हैं.

क्या है मुजफ्फरपुर मामला

बिहार पुलिस का कहना है कि मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में रह रहीं 34 लड़कियों के साथ रेप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने अपने सोशल ऑडिट में पाया कि बिहार के बालिका गृहों में रह रही लड़कियों के साथ यौन शोषण किया जा रहा है. 100 पन्ने की इस रिपोर्ट को उसने बिहार सरकार को सौंपा. इसके बाद जाकर ये कार्रवाई चल रही है.

इस रिपोर्ट में कई बालिका गृहों का जिक्र है मगर मुजफ्फरपुर का बालिका गृह जांच के केंद्र में है. सबूत जुटाने के लिए मकान के कैंपस में तक खुदवा डाली. पुलिस को शक है कि एक बच्ची की हत्या कर कैंपस में दफना दिया गया. इसी बिल्डिंग में सेवा संकल्प नाम की स्वयंसेवी संस्था बालिका गृह चलाती थी. बालिका गृह में रहनेवाली एक लड़की ने पुलिस को बताया था कि एक लड़की को मारकर यहां दबाया गया है. बिहार की विपक्षी पार्टियां मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही थी. अब बिहार सरकार ने मामले को सीबीआई के हवाले कर दिया.

मुजफ्फरपुर बालिका गृह के संचालक और मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर का परिवार 1982 से प्रात: कमल नाम का एक हिन्दी अखबार भी निकालता है. उनके पिता राधा मोहन ठाकुर ने इसका प्रकाशन शुरू किया था. इन बालिका गृहों में 6 से 18 साल की वैसी लड़कियों को रखा जाता है जो अनाथ, भूली-भटकी, मानसिक रुप से बीमार या किसी दूसरे कारण से परिवार से अलग हो गई है. सरकार की तरफ से इन्हें संरक्षण हासिल होता है. अब इस मामले में सियासत चरम पर है. शेल्टर होम सेक्स स्कैंडल की ‘आग’ 2 मंत्रियों तक पहुंच चुकी है. ‘मूंछ वाले नेता जी’ और ‘पेट वाले अंकल’ पर भी जमकर बयानबाजी हुई.

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