राजनीति के ‘धोनी’ साबित हो रहे हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

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राजनीति के 'धोनी' साबित हो रहे हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

राजनीति के 'धोनी' साबित हो रहे हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

पटना। नीतीश कुमार राजनीति के ‘महेंद्र सिंह धोनी’ साबित हो रहे हैं. वो हमेशा नए-नए लोगों को मौका देने में यकीन रखते हैं. हालांकि भरोसा जताने से पहले वो परखते जरूर हैं. जैसे महेंद्र सिंह धोनी किसी खिलाड़ी को मौका देते हैं तो खूब देते हैं जब तक वो अपना बेस्ट न दे दे. इसके बाद ही उसके बारे में कोई विचार बनाते हैं. नीतीश कुमार ने उस जीतन राम मांझी को सीएम की कुर्सी दे दी, जिसने कभी सपने में भी मुख्यमंत्री बनने की नहीं सोची होगी. ठीक उसी तरह बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार ने एक ऐसे शख्स की एंट्री कराई है जो बिल्कुल गैरराजनीतिक था. वो एक पेशेवर तरह सिर्फ अपना काम करना जानता था. मगर नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर पर भरोसा किया और उन्हें पार्टी का ‘भविष्य’ बता दिया.

पार्टी का ‘भविष्य’

अमूमन जींस और टीशर्ट में नजर आनेवाले प्रशांत किशोर पिछले सोमवार को जब इंडियन स्कूल ऑफ हैदराबाद के छात्रों के सामने कुर्ता पायजामा में मुखातिब हुए. 2019 की रणनीति के बारे में छात्रों से उनहोंने कहा कि इस बार वे किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए इलेक्शन मैनेजमेंट का काम नहीं करेंगे. इस बार सीधे जनता के बीच जाकर काम करेंगे. उन्होंने गुजरात और बिहार 2 राज्यों का नाम भी लिया था. इसका मतलब ये हुआ कि अचानक प्रशांत किशोर जेडीयू में शामिल नहीं हुए हैं बल्कि इसकी रणनीति बहुत पहले से बन रही थी.

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प्रशांत किशोर को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी का ‘भविष्य’ बताया है. इसका मतलब ये हुआ कि नीतीश कुमार पार्टी का अगला नेतृत्व प्रशांत किशोर में देख रहे हैं. मगर सवाल हैं कि जातियों के मकड़जाल में उलझे बिहार के सियासी गुणा-गणित को ब्राह्मण परिवार से आनेवाले प्रशांत किशोर कितना सुलझा पाएंगे, उनके लिए बड़ी चुनौती होगी. मगर नीतीश कुमार ने एक अच्छे कप्तान की तरह एक काबिल शख्स को मौका जरूर दिया है.

अब सिर्फ जेडीयू को सलाह

चुनावी रणनीतिकार का तमगा रखनेवाले प्रशांत किशोर अब किसी पार्टी के लिए काम नहीं करेंगे और न ही सलाह देंगे। प्रशांत किशोर अब खुद राजनीति करेंगे। पहले चर्चा थी कि वे अपनी पार्टी बनाएंगे। लेकिन वे नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के लिए राजनीति करेंगे। रविवार को उन्होंने पटना में नीतीश कुमार की मौजूदगी में जेडीयू की सदस्यता ग्रहण की। प्रशांत 2014 में यूएन से नौकरी छोड़कर नरेंद्र मोदी के लिए प्रचार करने आए थे।

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फिर कुछ मनमुटाव होने के बाद उन्होंने भाजपा का साथ छोड़ दिया था। 2015 में महागठबंधन के लिए उन्होंने प्रचार शुरू कर दिया। बिहार चुनाव के दौरान महागठबंधन की जीत हुई और बीजेपी की बिहार में करारी हार हुई। उसके बाद नीतीश कुमार ने उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया था। उस पर काफी विवाद भी हुआ था। बिहार चुनाव के दौरान प्रशांत किशोर ने ही ‘बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है’ का नारा दिया था। फिर यूपी चुनाव के दौरान भी प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के लिए प्रचार किया था, लेकिन वहां उन्हें कामयाबी नहीं मिली थी। हालांकि पंजाब में कांग्रेस की जीत जरूर हुई.

प्रशांत की बक्सर पर नजर?

प्रशांत किशोर बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले हैं। चर्चा है कि प्रशांत किशोर बक्सर से ही चुनाव लड़ेंगे। फिलहाल बक्सर सीट पर भाजपा कब्जा है। वहां केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे सांसद हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी का ‘भविष्य’ अगर बक्सर सीट पर दावेदारी पेश करते हैं तो अश्विनी चौबे का पत्ता कट सकता है।

राजनीति के 'धोनी' साबित हो रहे हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

गौरतलब है कि 2019 के चुनावी एजेंडा तैयार करने के लिए प्रशांत किशोर की संस्था इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी ने जुलाई में नेशनल एजेंडा फोरम लॉन्च किया जिसके माध्यम से हाल ही में देश के प्रधानमंत्री के तौर पर चेहरों को लेकर सर्वेक्षण कराया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से तीन गुनी ज्यादा होने का दावा किया गया।

कौन हैं प्रशांत किशोर?

नीतीश कुमार ने जिसे पार्टी का ‘भविष्य’ बताया है, उनके निजी जिंदगी के बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है. मीडिया में जो जानकारी है उसके मुताबिक प्रशांत किशोर बिहार के बक्सर के रहनेवाले हैं. उनके पिता श्रीकांत पाण्डेय पेशे से डॉक्टर हैं और बक्सर में अपना क्लीनिक चलाते हैं. वहां पर उनका घर भी है. प्रशांत के बड़े भाई अजय किशोर पटना में रहते हैं और खुद का बिजनेस है. इसके अलावा उनके परिवार में 2 बहनें हैं. प्रशांत ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई पटना के प्रतिष्ठित साइंस कॉलेज से की है. उसके बाद उन्होंने हैदराबाद के एक कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. फिर अफ्रीका में यूएन हेल्थ एक्सपर्ट के तौर पर काम किया. नौकरी छोड़कर प्रशांत 2011 में इंडिया लौटे. फिर 2012 से 2014 तक मोदी के लिए ‘इमेज रिपेयर’ के तौर पर काम किया. एक बच्चे के पिता प्रशांत का परिवार ज्यादातर वक्त दिल्ली में रहता है.

फिलहाल आंध्र का काम

इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड के तहत प्रशांत किशोर की टीम काम करती है. जिसका ब्रांड नेम आईपैक है. इसमें कई प्रोफेशनल्स दिन-रात काम करते हैं. ज्यादा आईआईटी और आईआईएम पास आउट है. इसका रजिस्टर्ड ऑफिस हैदराबाद में है. फिलहाल आईपैक की टीम 2019 चुनाव के लिए जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के लिए आंध्र प्रदेश में काम कर रही है.

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