आर मने रैट, रैट मने चूहा…देखिए सियासत के इन प्रपंची चूहों की रैट रेस

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आर मने रैट, रैट मने चूहा...देखिए सियासत के इन प्रपंची चूहों की रैट रेस

आर मने रैट, रैट मने चूहा...देखिए सियासत के इन प्रपंची चूहों की रैट रेस

दिल्ली। इस सर्वव्यापी प्राणी की विवेचना अति दुष्कर है। लालच और गंदगी के पर्याय इस प्राणी की समाजिक-आर्थिक और राजनीतिक संरचना आपको हैरत में डाल देगी। यही वजह भी है कि आर मने रैट, रैट मने चूहा वाली प्रवृति मानवीय मूल्यों पर हावी हो चुकी है। निगरानी न होने पर मनमानी करना लोगों की मानसिकता बन चुकी है। देखिए किस तरह जारी है इन प्रपंची चूहों की रैट रेस।

प्रपंची चूहों की रैट रेस

सियासत में चूहे ही ज्यादा सफल हैं। खाने और दुबकने का प्रपंच जिन्हें आ गया उन्होंने मैदान मार लिया। फिर चाहें देश की आर्थिक नगरी वाला राज्य महाराष्ट्र हो, संस्कृति भूमि बिहार या फिर नॉर्थ-ईस्ट का असम, चूहों का कुतरना नहीं रुका। मार्च 2018 में महाराष्ट्र में फड़णवीस सरकार पर चूहे हावी हो गए। मंत्रालय में चूहों से निपटने के लिए सरकार ने चूहे मारने का ठेका एक कंपनी को दे दिया। लेकिन दो साल में जितने चूहे बीएमसी ने मारे उससे भी ज्यादा चूहे इसे कंपनी ने एक हफ्ते में टपका डाले। फिर क्या था सरकार की जमकर चूहाकिरी हुई।

आर मने रैट, रैट मने चूहा...देखिए सियासत के इन प्रपंची चूहों की रैट रेस

लेकिन मायावी, प्रपंची चूहे यहीं नहीं रुके, उन्होंने असम में देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के एटीएम पर धावा बोल दिया। एटीएम में करीब तीस लाख रुपये डाले गए थे लेकिन मशीन में खराबी होने के बाद एटीएम बंद पड़ गया था। चूहों ने मौका देखा और निगरानी नहीं होने पर मनमानी कर बैठे। तकरीबन 12 लाख के पांच सौ और दो हजार के नोट कुतर डाले। जब मशीन ठीक करने के लिए बैंक के कर्मचारी ने एटीएम खोला तो लाखों की कतरन सामने आ गई।

बिहार के बेवड़े-इंजीनियर चूहे

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हद तो तब हो गई थी जब बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद बेवड़े चूहों ने 9 लाख लीटर शराब गटक ली और पुलिस को कानों-कान ख़बर नहीं हुई। ये वही शराब थी जो पुलिस ने अलग-अलग जगहों से जब्त किया था। हालांकि ये चूहे सत्ता पक्ष के थे या विपक्ष के, इसपर आज भी बहस जारी है। वैसे तब आरजेडी सुप्रीमो ने इन चूहों को मंत्री बताया था और ये कहा था कि राज्य में चूहे इतने प्रभावशाली हैं तो उन्हें ही सत्ता सौंप दीजिए।

हालांकि तब इंजीनियर चूहों ने भी बिहार में खूब धमाल मचाया था। साल 2017 में बाढ़ की तबाही का ठिकरा इंजीनियर चूहों पर ही फूटा। तत्कालीन जल संसाधन मंत्री ललन सिंह ने यही कहा कि चूहों ने तटबंधों को कमजोर कर दिया जिसकी वजह से बाढ़ आई। इतना ही नहीं, इन चांडाल चूहों ने शव तक कुतर डाला था और लाखों की अनाज भी चट कर गए थे।

कॉमिक-फिल्मी चूहे

आर मने रैट, रैट मने चूहा...देखिए सियासत के इन प्रपंची चूहों की रैट रेस

आर मने रैट, रैट मने चूहा…सियासत के इन भ्रष्टाचारी चूहों से थोड़े अलग भी कुछ चूहे हैं जो कॉमिक्स और फिल्मों के जरिए अपनी अलग छवि बनाने में कामयाब हो पाए। कथाकारों और निर्देशकों ने इस चूहे का मेकओवर कर दिया। टॉम एंड जेरी के नाम से मशहूर शो एक ऐसे ही नटखट चूहे की कहानी दिखाता है जो अक्सर बिल्ली पर हावी होता है जबकि मिकी माउस और स्टूवर्ट लिटिल में चूहे को मासूम और सबके चहेते के तौर पर दिखाया गया है।

प्ले कैट एंड माउस !

आर मने रैट, रैट मने चूहा...देखिए सियासत के इन प्रपंची चूहों की रैट रेस

चूहों की पहचान जरूरी है ताकि इसके नुकसान से बचा जा सके। मुहावरों के जरिए चूहा प्रवृति की पहचान साफ होती है। ‘प्ले कैट एंड माउस’ भी मुहावरा ही है जिसका अर्थ होता है परेशान करना, मुर्ख बनाना, लुका-छिपी और तरह-तरह के उपाय करना। इसके अलावा भी कई ऐसे मुहावरे चलन में हैं।

  • रैट ऑन- चुगली खाना, शिकायत करना
  • रैट आउट ऑन- साथ छोड़ देना, धोखा देना
  • स्मेल अ रैट- दाल में काला होना, संदेह होना
  • रैट रेस- बेतहाशा होड़, अंधी दौड़, बेमतलब की भाग-दौड़
  • बी एज क्वाएट एज अ माउस- खामोश होना, बिलकुल चुपचाप रहना, शर्मिलापन
  • एज पूअर एज अ चर्च माउस- बहुत गरीब होना, निर्धन
  • व्हेन द कैट अवे, द माइस विल प्ले- जब निगरानी करनेवाला न हो तो मनमानी करना

कहां मिलता है चूहों को मान

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हालांकि मायावी, कुटिल, बेवड़े, प्रपंची और चहेते चूहों के अलावा भी कुछ ऐसे चूहे हैं जिन्हें पूरा मान मिलता है। राजस्थान के बीकानेर में करणी माता का मंदिर, रैट टेंपल के नाम से ही मशहूर है। देवी को चढ़ाया गया प्रसाद सबसे पहले मंदिर में रहनेवाले 20 हजार चूहे खाते हैं, उसके बाद ही प्रसाद भक्तों में बांटा जाता है। बीकानेर राजघराने की कुलदेवी करणी माता मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब पूरे देश में प्लेग फैला था तब भी लोग इस मंदिर में चूहों का जूठा प्रसाद खाते थे लेकिन कभी कोई बीमार नहीं हुआ। यही नहीं, इतने चूहे होने के बाद भी मंदिर में बिल्कुल भी बदबू नहीं आती।
इश्कबाज चूहों का दंगल

और अंत में आपको दिखाते हैं इश्कबाज चूहों का वो दंगल, जहां गेहूं पर गुलाब भारी पड़ता दिखा।

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हालांकि ये वर्चस्व की जंग थी या फिर खाने को लेकर मारामारी ये शोध का विषय है लेकिन इतना तो तय है कि ये चूहों के आन-बान-शान से जुड़ा मसला था जहां चूहा प्रवृति से उलट शेर की दहाड़ दिख रही थी। लेकिन चूहे तो चूहे हैं… चटोर, चापलूस, और चिंदीचोर चूहे। इनकी विलासिता से रश्क खाते लोगों को बस एक ही मंत्र- चूहा, चूहे चूहेति, चूहानाम्। पुनर्मूषिको भव:। इति चूहोपाख्यानम्

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