करुणानिधि: एक नास्तिक को चाहनेवालों ने बना दिया ‘भगवान’

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राम को लेकर उठाते थे सवाल

राम को लेकर उठाते थे सवाल

दिल्ली। तमिल सियासत के दिग्गज 95 साल के करुणानिधि को उनके चाहनेवाले ‘भगवान’ की तरह पूजते हैं. उनके सम्मान में मंदिर तक बना दिए हैं. वहां दूर-दूर उनके समर्थक मत्था टेकने आते हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वेल्लूर जिले में गुदियाथम के पास समीरेडडीपल्ली में मंदिर बनवाया गया है. मगर करुणानिधि अक्सर राम और रामायण को लेकर उठाते थे सवाल. फिलहाल करुणानिधि यूरिन इंफेक्शन की वजह से चेन्नई के अस्पताल में एडमिट हैं.

राम को लेकर उठाते थे सवाल

भले ही तमिलनाडु में करुणानिधि को चाहनेवाले भगवान की तरह पूजते हों मगर वो एक नास्तिक हैं. भगवान राम के खिलाफ दिए अपने कई बयानों की वजह से वो विवादों में भी रहे हैं. 11 साल पहले उन्होंने एक बयान दिया था कि कुछ लोग कहते हैं कि 17 लाख साल पहले एक व्यक्ति था. जिसका नाम राम था. उसके द्वारा बनाए गए पुल (राम सेतु) को मत छुओ. यह राम कौन हैं? वो कौन से इंजीनियरिंग कॉलेज से ग्रेजुएट थे, क्या इसका कोई सबूत है? राम एक काल्पनिक कैरेक्टर है. विवादों के बाद भी करुणानिधि टस से मस नहीं हुए, 2009 में उन्होंने रामायण पर आधारित एक किताब के विमोचन पर उन्होंने कहा कि वो रामायण के आलोचक रहे हैं, और आगे भी रहेंगे.

एंटी-ब्राह्मणवादी राजनीति के प्रतीक

तमिलनाडु के 5 बार मुख्यमंत्री रहे करुणानिधि एंटी-ब्राह्मणवादी राजनीति के प्रतीक माने जाते हैं. करुणानिधि के राजनैतिक गुरु और डीएमके के संस्थापक अन्नादुराई और वैचारिक आदर्श पेरियार हैं. इनके आदर्शों पर राजनीति करने वाले करुणानिधि तमिल के दिग्गज नेता बने हुए हैं. थिरुक्कुवालाई गांव में 1924 में पैदा हुए करुणानिधि का घर अब म्यूजियम में तब्दील हो चुका है. वहां पोप से लेकर नरेंद्र मोदी तक के साथ वाली तस्वीरें लगी हुई है. करुणानिधि जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तब भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं. पांचवीं बार जब वो मुख्यमंत्री बने तो भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं करुणानिधि का राजनीतिक करियर कितना लंबा रहा है.

किसी भी सीट से नहीं हारे ‘कलाईनार’

उनके चाहनेवाले उन्हें कलाईनार यानी कला का जादूगर बुलाते हैं. राजनीति में आने से पहले करुणानिधि फिल्मों का स्क्रीप्ट लिखते थे. एमजीआर और करुणानिधि की जोड़ी कमाल की थी. मगर सियासत में आने के बाद मनमुटाव बढ़ता गया. डीएमके के दो टुकड़े हो गए. दूसरा धड़ा ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कषगम यानी एआईएडीएमके बना. जिसका नेतृत्व आगे चलकर जयललिता ने संभाला. करुणानिधि आज तक चाहे जिस भी सीट से चुनाव लड़े, कभी नहीं हारे.

करुणानिधि की राजनीति हिन्दी विरोध

करुणानिधि की राजनीति हिन्दी विरोध पर टिकी हुई थी. आज भी उनकी पार्टी हिन्दी का विरोध करती है. करुणानिधि की लिखी स्क्रीप्ट बनी आखिरी फिल्म 2011 में पोन्नार शंकर आई थी. करुणानिधि की तबीयत खराब की सूचना के बाद चेन्नई के कावेरी अस्पताल और उनके घर पर समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी है. सुरक्षा बढ़ा दी गई है. उनकी हाल-चाल जानने के लिए नेता फोन पर फोन कर रहे हैं. राष्ट्रपति से प्रधानमंत्री और राहुल गांधी से लेकर वेंकैया नायडु तक ने उनका हाल-चाल जाना. सबने हर संभव मदद का भरोसा दिया.