तेज प्रताप की तलाक अर्जी में बड़ा पेंच, इतना असान नहीं ऐश्वर्या से डायवोर्स

1
119
तेज प्रताप की तलाक अर्जी में बड़ा पेंच, इतना असान नहीं ऐश्वर्या से डायवोर्स

तेज प्रताप की तलाक अर्जी में बड़ा पेंच, इतना असान नहीं ऐश्वर्या से डायवोर्स

पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के परिवार की खटपट चौखट से बाहर आ गई है. बड़े बेटे पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव ने ने अपनी पत्नी ऐश्वर्या राय से तलाक के लिए फैमिली कोर्ट में अर्जी दी है. उस पर 29 नवंबर को सुनवाई होगी. मगर हिन्दू मैरिज एक्ट के नियमों के मुताबिक ऐश्वर्या से तेज प्रताप को तलाक लेना इतना आसान नहीं होगा.

तलाक लेना इतना आसान नहीं

तेज प्रताप के लिए तलाक लेना इतना आसान नहीं है. हिन्दू मैरिज एक्ट के मुताबिक तलाक के लिए कम से कम शादी की अवधि एक साल तक होनी चाहिए. ऐसे बहुत कम मामले हैं जिनमें एक साल से कम समय में तलाक मिला हो. तेज प्रताप ने अपनी अर्जी में पत्नी पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है. तेज प्रताप के वकील यशवंत कुमार शर्मा ने हिन्दू मैरिज एक्ट 13 (1) (1A) के तहत फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दायर की है.

ये भी पढ़ें: तेज प्रताप के ‘तलाक कांड’ का ‘बाबा एंगल’ क्या है? जानें

ये भी पढ़ें: ऐश्वर्या से अलग होने के लिए तेज प्रताप ने दी तलाक की अर्जी

‘तेज’ अर्जी में 6 महीने वाला पेंच

जानकारों के मुताबिक तलाक को लेकर हिन्दू मैरिज एक्ट में कई आधार बनाए गए हैं. मगर तलाक के ज्यादातर मामलों में शादी का एक साल होना जरूरी बताया गया है. इसी वजह से तेज प्रताप के लिए तलाक लेना इतना आसान नहीं रह गया है. हालांकि विशेष परिस्थिति में समय सीमा की छूट दी गई है. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक हिन्दू विवाह कानून के तहत तलाक मंजूर करने से पहले समझौते के उद्देश्य से दी जाने वाली कम से कम 6 महीने की अवधि हटाई जा सकती है. अगर दंपति के साथ रहने की कोई उम्मीद न बची हो. यहां पर तेज प्रताप को ये साबित करना होगा नहीं तो तलाक लेना इतना आसान नहीं होगा.

तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है?

  • तलाक के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतिम आदेश के लिए 6 महीने का वक्त लेना सिविल जज पर निर्भर करेगा.
  • अगर जज को लगता है कि हालात ज्यादा विपरीत है तो वो तुरंत तलाक का आदेश दे सकते हैं.
  • सेक्शन 13B (2) में कहा गया है कि पहले मोशन यानी तलाक की अर्जी फैमिली जज के सामने आने के 6 महीने के बाद ही दूसरा मोशन हो सकता है.
  • 6 महीने में अगर दोनों पक्ष साथ रहने को तैयार नहीं होते हैं तो तलाक का आदेश दिया जा सकता है.
  • तलाक चाहने वाले दंपति में रजामंदी हो तो इसके लिए उन्हें 6 महीने तक अलग रहने के कानून के अनुपालन करना जरूरी नहीं है.
  • आपसी रजामंदी से एक हफ्ते में तलाक मिल सकता है, इसके लिए 6 महीने का इंतजार करना जरूरी नहीं है.
  • अगर दंपति पहले से ही एक साल या उससे ज्यादा समय से अलग रह रहा हो तो 6 महीने अलग रहने के प्रावधान में छूट मिल सकती है.
  • 6 महीने का वक्त इसलिए रखा गया है कि ताकि जल्दबाजी में लिए गए तलाक के फैसलों पर लगाम लग सके और समझौते की कोई गुंजाइश हो तो संबंधों को ठीक किया जा सके.

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.