/पाकिस्तान बन गया ‘गधों का देश’, आखिर ऐसा क्या हुआ…?
गधों की खासियत

पाकिस्तान बन गया ‘गधों का देश’, आखिर ऐसा क्या हुआ…?

पाकिस्तान। गधों की खासियत किसी पाकिस्तानी से पूछिए जनाब. यहां गधे पहले गरीबों के घर का चूल्हा जलाने के जरिया थे. अब तो देश चलाने का जरिया बन गए हैं. इनके कमाए नोट से देश का पहिया चलता है.

गधों की खासियत

लाहौर से लेकर इस्लामाद तक की सड़कों पर इनका राज है. जब जहां चाहें ट्रैफिक रोक दें. मजाल है जो कोई इन गधों को इग्नोर मार जाए. पाकिस्तान के इकोनॉमिकल डेवेलपमेंट में इनकी भी भागीदारी शामिल कर ली गई है. अब राज-काज को भी अपने गधों पर फक्र हो रहा है. कोट-टाई पहनकर गधों की तारीफ में कसीदे गढ़े जा रहे हैं.

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पाकिस्तान में 13 लाख गधे

2016 के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान में 51 लाख गधे थे. 2017 में इनकी तादाद 52 लाख हो गई. आंकड़ेबाजों की मानें तो इनकी तादाद तेजी से बढ़ रही है और नए आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 के मुताबिक फिलहाल पाकिस्तान में 53 लाख गधे हैं.

पैसे कमाने का जरिया बने गधे

करीब 80 लाख परिवार पशुपालन के काम में लगे हैं. इनकी आय का 80 फीसदी हिस्सा इसी से आता है. पाकिस्तान में गधों की बढ़ती संख्या की वजह से इसे गधों का देश कहा जाने लगा है.

पाकिस्तान सरकार की मानें तो गधे न केवल नकद कमाई का जरिया हैं बल्कि ग्रामीण इलाकों में गरीबी हटाने और विदेशी मुद्रा कमाने का अहम सोर्स भी है.

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विकास दर 5.8 फीसदी

रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल देश में बकरियों की संख्या में करीब 2 लाख इजाफा हुआ. भेड़ों की संख्या करीब 40 हजार बढ़ी. मगर गधों की तादाद बढ़ी 1 लाख.

वित्त मामलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार मिफ्ताह इस्माइल और योजना-विकास मंत्री अहसान इकबाल ने इस्लामाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में 2017-18 के लिए पाकिस्तान का आर्थिक सर्वेक्षण जारी किया.

अहसान इकबाल ने कहा कि देश की विकास दर अब 5.8 फीसदी हो गई है, जो पिछले 13 सालों में सबसे अधिक है. इस विकास दर में बाकी चीजों के साथ-साथ गधों के योगदान को नकारा नहीं जा सकता.