भारतीय राजनीति के दिग्गज भी उस वक्त हैरान रह गए, जब मंगलवार दोपहर को बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में पीडीपी से अलग होने का फैसला लिया। इस बात का अंदाजा पहले से किसी को नहीं था कि बीजेपी महबूबा मुफ्ती से अपने सारे रिश्ते खत्म कर लेगी।
लेकिन जम्मू-कश्मीर के प्रभारी राम माधव ने इसका ऐलान कर सबको चौंका दिया। इस फैसले के लिए अमित शाह ने सीक्रेट प्लान बनाया था, जिसकी भनक केंद्र में मोदी सरकार के मंत्रियों को भी नहीं थी।
पीडीपी से अलग होने का फैसला
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— BJP (@BJP4India) June 19, 2018
दरअसल, सोमवार की रात बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अचानक से जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना और सरकार में शामिल मंत्रियों को वहां के हालात पर चर्चा के लिए दिल्ली बुलाया था। उनलोगों से मिलने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी वहां के हालात पर विचार-विमर्श किया।
तब तक जम्मू-कश्मीर से आए नेताओं और दिल्ली में बैठे भाजपा के आला नेताओं तक को ये एहसास नहीं था कि शाह आज इतना बड़ा फैसला लेंगे।
हालांकि अजीत डोभाल से मुलाकात के बात इस बात का थोड़ा अंदाजा था कि सरकार जम्मू-कश्मीर को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकती है। क्योंकि हाल के दिनों में वहां हालात काफी बिगड़ गए थे।
क्या फीडबैक दी थी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने
शाह से मुलाकात के बाद जम्मू-कश्मीर के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा था कि सरकार पर कोई खतरा नहीं है। बकौल रैना, 2019 के चुनाव की तैयारियों को लेकर ये बैठक बुलाई गई थी। इसके अलावा वहां पार्टी की मजबूती को लेकर चर्चा हुई थी। जबकि अंदरखाने ख़बर ये थी कि मुख्यमंत्री महबूबा लगातार ये दबाव बना रही थीं कि केंद्र सरकार अलगाववादी नेताओं से बात करे।
गुपचुप लिया गया फैसला
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रैना से बातचीत के कुछ घंटे बाद ही राम माधव ने ऐलान कर दिया कि जिन मुद्दों को लेकर सरकार बनी थी, उन सभी बातों पर चर्चा हुई। पिछले कुछ दिनों से कश्मीर की स्थिति काफी बिगड़ी है, जिसके कारण हमें ये फैसला लेना पड़ा है।
कहा ये भी जा रहा है कि चुनावी साल में बीजेपी अलगाववादी नेताओं से बात कर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती थी। ऐसे में शाह ने मोदी से मंथन कर इस निर्णय पर पहुंचे। अमित शाह इतना कठोर फैसला लेंगे इस बात की भनक महबूबा को भी नहीं थी। साथ ही बीजेपी नेताओं को भी इसकी भनक नहीं लगने दी गई।