दिल्ली। 2019 की लोकसभा चुनाव की रणनीति को लेकर भाजपा ने तैयारी शुरू कर दी है। 2014 की तरह इस बार भाजपा का फोकस यूपी पर है। यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं। जिसमें से पार्टी इस बार 72+ जीतना चाहती है। उसी रणनीति पर आगे काम कर रही है। 2019 की तैयारियों को लेकर उत्तर प्रदेश के मेरठ में दो दिनों तक मंथन चली। इसमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत पार्टी के तमाम दिग्गज नेता शामिल हुए।
यूपी में लोकसभा की 80 सीटें
लेकिन बीजेपी के तीन बड़े चेहरे इस बैठक में शामिल नहीं जिन्हें लेकर सवाल उठने लगे हैं। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी, सुल्तानपुर से सांसद वरुण गांधी और बहराइच से सांसद सावित्री बाई फूले के नदारद रहने पर सियासी गलियारों में सुगबुगाहट तेज हो गई है। इन नेताओं के शामिल न होने पर राजनीतिक मायने निकाले जाने लगे हैं।
मेरठ में बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी की मैराथन बैठक में प्रदेश के सभी विधायकों और सांसदों ने भाग लिया। पीलीभीत से सांसद और मोदी सरकार में मंत्री मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी का शामिल न होना कई राजनीतिक कयासों को जन्म दे रहा है। जबकि बहराइच की दलित सांसद सावित्री बाई फूले ने लगभग अपने बगावती रुख को साफ कर दिया है।
मेनका और वरुण नाराज हैं?
माना जा रहा है कि वरुण गांधी नाराज चल रहे हैं। इसी के चलते बीजेपी की पिछली कई मीटिंग में वो शामिल नहीं हुए हैं। रायबरेली और सुल्तानपुर के अमित शाह के कार्यक्रम में भी वरुण शामिल नहीं हुए थे। वहीं, मेनका गांधी का मेरठ के राज्य कार्यकारिणी में हिस्सा नहीं लेना नई सियासत की ओर इशारा कर रही है।
गौरतलब है कि एक तरफ वरुण गांधी लगातार पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं। यूपी के 2017 विधानसभा चुनाव से पहले मेनका गांधी ने वरुण गांधी को मुख्यमंत्री पद का दावेदर बताकर राजनीतिक हलचल पैदा कर दी थी। इसी के बाद पार्टी के केंद्रीय संगठन के विस्तार दौरान वरुण गांधी को महासचिव पद से हटा दिया गया था। इसी के बाद वरुण नाराज चल रहे हैं। जबकि दूसरी ओर पार्टी भी वरुण गांधी से नाराज है। हालांकि नाराजगी के बावजूद दोनों ओर से किसी भी तरह की बयानबाजी से परहेज होता रहा है।
सावित्री बाई का बगावती तेवर
विधानसभा चुनाव में वरुण ने खुद को पार्टी के प्रचार से अलग रखा था। बीजेपी ने भी उन्हें ज्यादा तवज्जो नहीं दी थी। उसके बाद से वरुण गांधी पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में सार्वजनिक मंच पर नहीं दिखे।
बहराइच से बीजेपी सांसद सावित्री बाई फूले भी पार्टी के भीतर दलित मुद्दे को लेकर बगावती रुख अख्तियार किए हुए हैं। ऐसे में मेरठ की बैठक में शामिल न होने से सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि बीएसपी की ओर पींगे बढ़ा भी रही हैं। इन तीनों नेताओं की नाराजगी 2019 के लोकसभा चुनाव में अलग रास्ता अख्तियार करने के लिए तो नहीं है।