पटना। बिहार में शराब पर प्रतिबंध के ‘आपार’ सफलता के बाद अब खैनी पर बैन की तैयारी चल रही है. नवंबर 2014 से पान-मसाला, गुटखा और जर्दा की खरीद-बिक्री और भंडारण पर प्रतिबंध है. फू़ड प्रोडक्ट की लिस्ट में शामिल होने की वजह से खैनी प्रतिबंध के दायरे से बाहर रही. सबकुछ ठीक रहा तो बिहार में खैनी गायब हो जाएगी.
सुबह-सुबह कैसे होगा ‘खुलासा’?
बिहार में कई बड़े नेता और अधिकारी भी खैनी का सेवन करते हैं. बिहार के समाज में इसकी एडॉपटिबिलिटी भी है. कई बड़े नेता शान से कैमरे सामने भी खैनी खा लेते हैं और उन्होंने इसे कभी भी छिपाने की कोशिश नहीं की. अगर खैनी पर बैन लग जाता है तो बड़ा सवाल ये है कि उनका मूड फ्रेश कैसे होगा?. सुबह-सुबह उनका ‘खुलासा’ कैसे होगा?.
अब तक इस मामले पर राजनीतिक बयान तो नहीं आया है, मगर आनेवाले दिनों में खैनी पर भी बिहार में सियासत होते दिखे तो आश्चर्य नहीं होगा. बिहार के कई जिलों में बड़े पैमाने पर तंबाकू की खेती होती है. लाखों किसानों की रोजी-रोटी से जुड़ा मामला है. शराब पर बैन के बिहार सरकार ने ताड़ी चुआने वालों को ‘नीरा’ का ऑप्शन दिया. मगर तंबाकू की खेती करनेवाले किसानों को किस नए प्रो़डक्ट का ऑप्शन मिलेगा ये भी देखनेवाली बात होगी.
बिहार में हर पांचवां आदमी खाता है खैनी
तंबाकू नियंत्रण के क्षेत्र में राज्य सरकार को तनीकी सहयोग देने वाली संस्था सोशियो इकोनॉमिक एंड एजुकेशनल सोसाइटी यानि सीड्स ने खैनी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. सीड्स के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा ने कहा कि राज्य सरकार को खाद्य सामग्री की कैटेगरी लाए और फिर इसे फू़ड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट- 2006 के तहत प्रतिबंधित करे. उन्होंने कहा कि इसी एक्ट के तहत राज्य में गुटखा और पान मसाले को प्रतिबंधित किया गया है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश में 25 फीसदी से ज्यादा लोग धुआं रहित तंबाकू का सेवन करते हैं. इनमें सबसे ज्यादा तादाद खैनी खानेवालों की है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को एक चिट्ठी लिखी है जिसमें खैनी को खाद्य उत्पाद के रुप में सूचित करने का अनुरोध किया गया है.
खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण यानि एफएसएसएआई ने खाद्य उत्पाद के रुप में नोटिफाई किए जाने के बाद सरकार के पास स्वास्थ्य आधार पर खैनी पर प्रतिबंध लगाने की शक्ति होगी. बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा गया है. उन्होंने कहा कि बिहार में हर पांचवां आदमी खैनी का इस्तेमाल करता है.
तंबाकू से देश में हर साल 12 लाख लोगों की मौत
संजय़ कुमार ने कहा कि अब तो जो नियम है वो सिगरेट के रूप में तंबाकू के इस्तेमाल को कंट्रोल करता है. लेकिन खैनी की खपत ज्यादा है जिस पर ध्यान देने की जरुरत है. उन्होंने ये भी कहा कि बिहार में तंबाकू की खपत कुल मिलाकर गिरवाट दर्ज की गई है.
पिछले सात साल में तंबाकू की खपत 53 फीसदी से गिरकर 25 प्रतिशत रह गई है. हालांकि खैनी का सेवन करने वालों लोगों की संख्या अब भी चिंताजनक है. यह भी देखने को मिल रहा है कि मुंह में कैंसर होने के पीछे खैनी ही प्रमुख कारण रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस बात का जिक्र किया है कि खैनी की वजह से कैंसर, फेफड़े और दिल से संबंधित बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है.
बिहार में पिछले कुछ सालों में तंबाकू सेवन में कमी आई है, मगर अब भी करीब 25 फीसदी लोद तंबाकू से छुटकारा नहीं पा सके हैं. 23.7 फीसदी लोग चबाने वाले तंबाकू का सेवन करते हैं.
इनमें 20.4 फीसदी लोग खैनी के रुप में तंबाकू खाते हैं. इनमें पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल हैं. तंबाकू कैंसर का सबसे बड़ा कारण है. तंबाकू खाने के देश में हर साल 12 लाख लोगों की मौत हो जाती है. इनमें 80 फीसदी से अधिक मुंह के कैंसर के मरीज होते हैं. तंबाकू खाने वाले हृदय रोग के मरीज बन जाते हैं.