/सवर्णों की नाराजगी से डरी बीजेपी, भारत बंद से पहले अमित शाह की मंत्रियों के साथ बैठक
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सवर्णों की नाराजगी से डरी बीजेपी, भारत बंद से पहले अमित शाह की मंत्रियों के साथ बैठक

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दिल्ली। एससी-एसटी एक्ट अब बीजेपी के लिए गले की फांस बन गई है। इस एक्ट की वजह से सवर्ण जाति के लोग भाजपा ने नाराज हो गए हैं। इसके विरोध में जगह-जगह पर आंदोलन हो रहे हैं। इस एक्ट को लेकर सवर्णों ने 6 सितंबर को भारत बंद बुलाया है। सवर्णों की यह नाराजगी ने बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है। इस पर माथापच्ची के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक की।

मंत्रियों के साथ शाह की मंथन

अमित शाह की इस बैठक में मोदी सरकार के शीर्ष मंत्रियों में शामिल अरुण जेटली, निर्मला सीतारमण, प्रकाश जावड़ेकर, जेपी नड्डा, रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल और स्मृति ईरानी ने हिस्सा लिया। इसके अलावा बीजेपी सांसद भूपेंद्र यादव, रामलाल और मीनाक्षी लेखी भी बैठक में शामिल हुईं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस बैठक में बीजेपी नेताओं से सवर्ण वर्गों की नाराजगी को लेकर चर्चा की गई। बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि मोदी सरकार की ओर से ओबीसी और दलितों को लेकर किए फैसलों से सवर्ण जाति में नाराजगी फैल रही है और इस नाराजगी को कैसे दूर किया जाए।

सवर्णों का 6 सितंबर को भारत बंद

भाजपा चाहती है कि सवर्ण जातियों की नाराजगी को किस तरह से दूर किया जाए. बीजेपी का मानना है कि ये जातियां उसका बेस वोटर हैं. बीजेपी इसे किसी भी सूरत में गंवाना नहीं चाहती है. साथ ही एससी-एसटी और ओबीसी जाति के लोग भी नाराज ना हों। इसी मसले को लेकर अमित शाह ने एनडीए के घटक दलों के नेताओं के साथ भी बात की है। वहीं, इसे लेकर कई सवर्ण संगठनों ने 6 सितंबर को भारत बंद आहूत की है। इसे लेकर समूचे मध्य प्रदेश में पुलिस अलर्ट हो गई है। कई जिलों में धारा 144 लागू है।

क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि एससी-एसटी एक्ट से जुड़े मामले में किसी भी व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज होने से पहले उस पर लगे आरोपों की जांच की जाएगी. इसी के बाद देश भर में एससी-एसटी तबके की तरफ से विरोध तेज हो गया था. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों और बीजेपी के सहयोगी दलों की तरफ से भी इस मुद्दे पर सरकार से दखल की मांग की गई. राजनीतिक दबाव के चलते केंद्र की बीजेपी सरकार ने इस मामले में संसद के मॉनसून सत्र में कानून पास कराकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया. अब एक बार फिर से पुराने ढर्रे पर ही एसटी-एसटी कानून के तहत कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया. यानी इस एक्ट में फिर से बिना जांच के भी मुकदमा दायर करने और गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया.