दिल्ली। एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ सवर्णों ने भारत बंद बुलाया है। इसका देश के कई हिस्सों में जबरदस्त प्रभाव देखने को मिला। लोग सड़क पर उतरकर इस एक्ट में संशोधन की मांग करने लगे। भारत बंद कई सवर्ण संगठनों के द्वारा बुलाया गया था। इसे लेकर सभी राज्य सरकारें अलर्ट पर थी, सबसे ज्यादा असर बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में देखने को मिला।
बिहार
बिहार में कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने आगजनी की और ट्रेनें रोकी। इसके साथ ही प्रदर्शन कर रहे लोगों ने मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी किए। लोगों की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है उसका पालन किया जाए। बिहार के ज्यादातर शहरों के बाजार बंद थे। प्रशासन की ओर से भी एहतियातन पूरी चौकस सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
मध्य प्रदेश
भारत बंद को देखते हुए मध्य प्रदेश के दस जिलों में धारा 144 लागू की गई थी। मध्य प्रदेश के भिंड, ग्वालियर, मोरेना, शिवपुरी, अशोक नगर, दतिया, श्योपुर, छतरपुर, सागर और नरसिंहपुर में धारा 144 लागू की गई थी। इस दौरान पेट्रोल पंप, स्कूल, कॉलेज बंद रहे। मध्यप्रदेश में ड्रोन के जरिए बंद के हालात पर नजर रखी गई।
राजस्थान
एससी-एसटी एक्ट में संशोधन लाए जाने के विरोध में राजस्थान में अगड़ी जातियों ने सड़क पर उतरने का ऐलान किया था। गुरुवार सुबह भारत बंद का असर यहां भी दिखना शुरू हुआ और जयपुर के स्कूल, कॉलेज और मॉल सब बंद नजर आए।
उत्तर प्रदेश
भारत बंद को देखते हुए उत्तर प्रदेश में सुरक्षा को मुस्तैद किया गया था। राज्य में कुल 11 जिलों में अलर्ट जारी किया गया था। राजधानी लखनऊ समेत बिजनौर, इलाहाबाद, आजमगढ़, बरेली जैसे कई शहरों में पुलिस को अलर्ट पर रखा गया था।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के ठाणे में भी सवर्ण समूह के लोगों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान लोगों ने सड़कों पर उतर सरकार विरोधी नारे लगाए। लोगों का कहना है कि केंद्र सरकार को तुरंत अपना आदेश वापस लेना चाहिए और जैसा सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी-एसटी एक्ट को वैसा ही करना चाहिए।
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि एससी-एसटी एक्ट से जुड़े मामले में किसी भी व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज होने से पहले उस पर लगे आरोपों की जांच की जाएगी. इसी के बाद देश भर में एससी-एसटी तबके की तरफ से विरोध तेज हो गया था. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों और बीजेपी के सहयोगी दलों की तरफ से भी इस मुद्दे पर सरकार से दखल की मांग की गई. राजनीतिक दबाव के चलते केंद्र की बीजेपी सरकार ने इस मामले में संसद के मॉनसून सत्र में कानून पास कराकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया. अब एक बार फिर से पुराने ढर्रे पर ही एसटी-एसटी कानून के तहत कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया. यानी इस एक्ट में फिर से बिना जांच के भी मुकदमा दायर करने और गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया.
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