पटना। बिहार में एक पाकिस्तानी बच्ची पर बवाल मचा है. बात सीएम तक पहुंच गई.
अब उन्होंने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं. पूरा मामला जमुई जिले से जुड़ा है.
यहां एक पाकिस्तानी बच्ची को स्वच्छता अभियान का ब्रांड एंबेसडर बना दिया गया.
ये तस्वीर जिले की जल और स्वच्छता समिति की नोटबुक पर छापी गई है.
मीडिया में खबर आने के बाद प्रशासन हरकत में आया.
ऐसे हुआ मामले का खुलासा
साफ सफाई में लोगों की जागरुकता बढ़ाने के लिए ‘स्वच्छ जमुई, स्वस्थ जमुई’ अभियान की शुरूआत की गई.
‘स्वच्छ जमुई- स्वस्थ जमुई’ अभियान के लिए एक नोटबुक तैयार कराया गया.
नोटबुक पर छपी बच्ची की तस्वीर गूगल सर्च की गई तो वो पाकिस्तान का झंडा बनाते नजर आई.
पाकिस्तान में यूनिसेफ की यूनिट इस फोटो का इस्तेमाल शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए कर रही है.
इस बाबत जमुई के डीएम धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि मामले में जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.
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अब पल्ला झाड़ने में अफसर
नोटबुक प्रकाशन की मंजूरी जमुई के पूर्व डीएम ने दी थी.
डिस्ट्रिक्ट को-ऑर्डिनेटर के मुताबिक समिति के अध्यक्ष और तत्कालीन डीएम डॉ कौशल किशोर ने इस नोटबुक की छपाई की मंजूरी दी थी.
कुल 10 हजार नोटबुक तैयार किए गए हैं.
अब तक 10 हजार नोटबुक स्कूलों में बांटे जा चुके हैं. स्वच्छता के लिए होनेवाली कम्पीटिशन में इस नोटबुक का इस्तेमाल किया जाता है.
अब अफसर पल्ला झाड़ने में लगे हैं. इनका कहना है कि नोटबुक छापने की अनुमति दी गई थी न कि नोटबुक पर फोटो छापने की.
‘नोटबुक कांड’ पर सवाल
जमुई प्रशासन का ‘नोटबुक कांड’ पटना तक पहुंचा. सरकार हरकत में आई.
पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए. विवाद इतना बढ़ गया कि सीएम नीतीश कुमार को दखल देना पड़ा.
मगर सवाल है कि आखिर ये सब कैसे हुआ?.
क्या प्रशासनिक अमला इतने लापरवाह तरीके से काम करता है कि उसे ये भी चिंता नहीं कि जिसका फोटो छाप रहे हैं उसकी पड़ताल कर लें?.
किसी न किसी मीटिंग में तो अप्रूवल लिया गया होगा. यूं ही किसी का फोटो सरकारी दस्तावेज पर तो नहीं आता है?.
जिस बच्ची के फोटो का इस्तेमाल किया जा रहा है उसके बारे में कोई जानकारी क्यों नहीं जुटाई गई?.