इस साल भी इस मेले में छह नौटंकी कंपनियां आई हैं. प्रत्येक मेले में 50 से 60 लड़कियां हैं. ‘शोभा सम्राट थियेटर’ के प्रबंधक कहते हैं कि पहले जैसे कलाकार मिलना ही मुश्किल है. वे कहते हैं कि पहले देश में कई बड़े मेले लगते थे और उनमें थियेटरों (नौटंकी) की पूछ होती थी. ऐसे में थियेटर कंपनियों के पास अपने खास कलाकार होते थे, जिससे उस नौटंकी कंपनी की पहचान भी होती थी.
बदल गया दौर
उन्होंने कहा कि आज दौर बदल गया है. आज तो नौटंकी कंपनियां सालभर में छह महीने बेकार रहते हैं. ऐसे में अगर हम ऐसे कलाकार रख भी लें तो सालभर उन्हें बिना काम के वेतन कौन देगा? कलाकारों को अब काम के समय मंगवाया जाता है और उसी के अनुसार उन्हें पारिश्रमिक दिया जाता है.
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वही दिखाया जाता है जो लोग पसंद करते हैं
मेले में आए ‘गुलाब विकास’ नौटंकी के संचालक कहते हैं कि अब सुरक्षा के नाम पर भी कंपनी को काफी खर्च करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि कलाकारों द्वारा वही कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाता है, जिसे लोग पसंद करते हैं.
कार्तिक पूर्णिमा से शुरू हुआ है मेला
बता दें कि प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होने वाला यह मेला कहने को तो एक महीने चलता है, मगर इस मेले को देखने के लिए देश ही नहीं, विदेश तक के सैलानी पहुंचते हैं.