दिल्ली। पिछले डेढ़ साल में तीसरी बार सड़कों पर उतरे किसानों को निराशा हाथ लगी. भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने ‘किसान क्रांति यात्रा’ को खत्म करने का एलान किया. उन्होंने कहा कि राजघाट पर फूल चढ़ाकर अंदोलन खत्म कर दिया जाएगा. ये सरकार किसान विरोधी है और हमार मांगें पूरी नहीं हुई है. आंदोलनकारी किसान अपने-अपने घरों की ओर लौट रहे हैं. किसानों का आरोप है कि सरकार ने उनके साथ विश्वासघात किया है. उनका कहना है कि 2014 में सत्ता में आने से पहले बीजेपी ने किसानों के हित के लिए जो घोषणापत्र जारी की थी, उसे लागू नहीं किया गया.
‘किसान क्रांति यात्रा’
23 सितंबर को हरिद्वार से काफी तादाद में किसान दिल्ली की ओर पैदल निकल पड़े. दिल्ली पहुंचने के लिए उन्होंने 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती का दिन चुना. इस यात्रा का नाम दिया गया ‘किसान क्रांति यात्रा’. सरकार को उसकी वादों को याद दिलाने के लिए किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्र सरकार के कुछ लोगों से मिलनेवाला था. दिल्ली में एंट्री को रोकने के लिए किसानों की एक मीटिंग उत्तर प्रदेश सरकार के साथ हुई थी, जो विफल हो गई. ‘किसान क्रांति यात्रा’ को लेकर राजघाट जाने और वहां से संसद तक मार्च की योजना बनाए किसानों और पुलिस के बीच मंगलवार को हिंसक झड़पें देखने को मिली थी. दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर रोकने की दोनों राज्यों की पुलिस की रणनीति फेल हो गई. मंगलवार देर रात पुलिस ने बैरियर खोल दिए और किसानों को दिल्ली में एंट्री की इजाजत दे दी गई.
किसानों का दिल्ली कूच
#WATCH: Farmers who were stopped during ‘Kisan Kranti Padyatra’ yesterday are moving towards Delhi’s Kisan Ghat after police opened barricades at Delhi-UP border. pic.twitter.com/byNIu549Am
— ANI (@ANI) October 2, 2018
बैरियर खुलने की इजाजत के साथ की किसनों में खुशी देखी गई. हाथों में बैनर-पोस्टर लिए किसान नारेबाजी करते हुए दिल्ली की ओर कूच कर गए. किसानों की दिल्ली में एंट्री पर गाजियाबाद के एसएसपी वैभव कृष्ण ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने किसानों को अपनी सीमा में आने की अनुमति दे दी है. हालांकि शर्तों के बारे में एसएसपी ने नहीं बताया. अचानक किसानों को दिल्ली में ‘किसान क्रांति यात्रा’ की परमिशन मिलते ही सड़कों पर सो रहे किसान जाग उठे और ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर दिल्ली की ओर कूच करने लगे. यूपी गेट और लिंक रोड पर करीब 3000 किसान मौजूद थे. जो सड़कों पर सो रहे थे. मगर अब उनकी ट्रैक्टर की गड़गड़ाहट दिल्ली सुन रही है.
किसान-पुलिस की भिड़ंत
#WATCH Visuals from UP-Delhi border where farmers have been stopped during ‘Kisan Kranti Padyatra’. Police use water cannons to disperse protesters after protesters broke the barricades pic.twitter.com/9KUwKgvrwW
— ANI (@ANI) October 2, 2018
दिल्ली में ‘किसान क्रांति यात्रा’ की एंट्री के लिए किसानों ने यूपी गेट पर बैरिकेडिंग को तोड़ दिया था. दिल्ली में घुसने से रोक रही पुलिस के साथ उनकी झड़पें भी हुई थी. पुलिस के मुताबिक किसानों ने पत्थरबाजी की. जिसके जवाब में पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े. पानी की बौछारें की. पुलिस ने लाठियां चलाई. रबड़ की गोलियां दागी. ट्रैक्टरों को नुकसान पहुंचाया गया. 12 घंटे तक अफरा-तफरी का माहौल रहा. पुलिस और किसानों की भिड़ंत में 100 से ज्यादा किसानों को चोटें आई. इनमें कुछ गंभीर हैं. हिंसक झड़प में दिल्ली पुलिस के एसीपी समेत 7 पुलिसवालों भी जख्मी हुए.
‘किसान क्रांति यात्रा’ की मांगें
- पिछले वर्ष की गन्ना फसल की बकाए चुकाने की मांग
- किसानों के लिए पेंशन की मांग
- स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करने की मांग
- मृतक किसानों के परिवारों के लिए घरों की मांग
- फसलों के उचित मूल्य देने की मांग
- कर्ज मुक्ति की मांग
- बिजली के दामों में कमी की मांग
- डीजल के दामों में कमी की मांग
- 10 साल पुराने ट्रैक्टर बंद किए जाने के खिलाफ मांग
2 बार पहले भी हुए प्रदर्शन
नासिक-मुंबई किसान यात्रा: ‘किसान क्रांति यात्रा’ से पहले मार्च 2018 में महाराष्ट्र के 30 हजार किसान मुंबई विधानसभा का घेराव करने पहुंचे थे. नासिक से मुंबई तक की उनकी यात्रा 180 किलोमीटर तक थी. किसानों की मांग थी कि महाराष्ट्र सरकार ने पिछले साल 34 हजार करोड़ रुपए की सशर्त कृषि माफी की घोषणा की थी लेकिन अब तक उसे लागू नहीं किया गया था.
मंदसौर किसान रैली: 2017 में मध्य प्रदेश के मंदसौर में भी किसानों ने एक आंदोलन किया था. इस आंदोलन में भी कर्ज माफी और अपनी फसल का सही दाम हासिल करने किसानों ने मांग की थी. हालात तब बेकाबू हो गए जब पुलिस ने किसानों पर फायरिंग कर दी. इसमें 6 किसानों की मौत गई और कई गंभीर रूप से जख्मी हो गए. इन सभी मामलों में किसानों को सिर्फ आश्वासन मिले. बाकी दो आंदलनों का हश्र ‘किसान क्रांति यात्रा’ का भी हो गया.