दिल्ली। कर्नाटक में सरकार गठन के दौरान मंच पर यूनाइटेड विपक्ष की झलक दिखी थी। यूपी में हुए उपचुनाव के दौरान कुछ दल एक साथ मिलकर चुनाव भी लड़े।
लेकिन कई दल 2019 में विपक्षी एकता में शामिल रहेंगे या नहीं, इस पर खुलकर बोल नहीं रहे हैं। लेकिन कांग्रेस लगातार कोशिश कर रही हैं कि बिना एक साथ आए 2019 में मोदी को चुनौती देना मुश्किल होगा।
एक होंगे तभी दे पाएंगे मोदी को चुनौती
2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की कामयाबी के बाद लगातार हुए विधानसभा चुनावों में इक्का-दुक्का अपवादों को छोड़ दें तो यह साफ है कि मौजूदा परिस्थिति में भाजपा एक बड़ी राजनीतिक ताकत है और पारंपरिक राजनीतिक समीकरणों से उसका सामना नहीं किया जा सकता।
तो ऐसे में अलग-अलग राज्यों के उन समीकरों को समझना जरूरी है जिनके हकीकत बने बगैर अलग-अलग स्तरों पर चल रहा नरेंद्र मोदी और अमित शाह का विजय रथ थमना मुश्किल लग रहा है।
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उत्तर प्रदेश
सबसे पहले बात देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की करते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में अपने सहयोगी अपना दल को साथ में लेकर बीजेपी ने 73 सीटें जीती थीं।
इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा का प्रचंड बहुमत मिला। लेकिन इन दोनों चुनावों में सपा-बसपा अलग-अलग चुनाव लड़े थे। लेकिन जब दोनों साथ आए तो गोरखपुर, फूलपुर, कैराना और नूरपुर की बाजी पलट गई। बीजेपी सभी सीटों पर हार गई।
ऐसे में अगर 2017 के चुनाव के आंकड़े देखें तो भाजपा को 40 फीसदी वोट मिला था। वहीं, सपा, बसपा, कांग्रेस और आरएलडी को कुल 52 फीसदी वोट मिले थे। ऐसे में सभी दल एक साथ आ जाएं तो बीजेपी को तगड़ा झटका दे सकते हैं।
बिहार
वहीं, बिहार में 2014 में आरजेडी-जेडीयू अलग-अलग लड़ी थी तो बीजेपी ने प्रचंड जीत हासिल की थी। 2015 के विधानसभा चुनाव में लालू-नीतीश साथ थे तो बीजेपी की करारी हार हुई।
अगर 2014 में वोट प्रतिशत की बात करें तो बीजेपी को 29.40 था। वहीं, कांग्रेस-आरजेडी का वोट प्रतिशत 29.7 फीसदी था। लेकिन अगर जेडीयू मोदी का साथ छोड़ देती है तो नुकसान बड़ा होगा।
महाराष्ट्र
इसके साथ ही महाराष्ट्र की बात करें तो वहां शिवसेना और बीजेपी के रिश्ते में दरार आने लगी है। 2014 में महाराष्ट्र में बीजेपी को 27.30 फीसदी वोट मिले थे।
अगर यहां शिवसेना अलग हो जाती है और मोदी विरोधी एक साथ हो जाते हैं तो फिर वो 34.10 फीसदी वोटों के साथ राज्य की नंबर वन पार्टी बनकर उभर सकते हैं। लेकिन एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस साथ आ जाती है तो बीजेपी को नुकसान होगा।
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में बीजेपी धीरे-धीरे उभर रही है। पश्चिम बंगाल में बीजेपी को 18 प्रतिशत वोट मिले थे। अगर यहां पर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और कम्यूनिस्ट पार्टी एक साथ आ जाती हैं तो उनका वोट प्रतिशत 72.5 हो जाता है। यानी यहां पर बीजेपी के लिए बहुत बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाएगी।
तमिलनाडु
वहीं, तमिलनाडु में 39 लोकसभा सीटें हैं। राज्य में बीजेपी की हालत ज्यादा अच्छी नहीं है। 2014 में सिर्फ 5.5 प्रतिशत वोट ही मिले थे। ऐसे में अगर मोदी विरोधी पार्टियां एक साथ हो जाती है तो उनका वोट प्रतिशत 72.3 हो जाते हैं। यानी यहां भी बीजेपी को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।