बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार क्या बीजेपी से एक बार फिर अलग होना चाहते हैं? ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि नीतीश कुमार के हाल के दिनों में दिए गए बयानों से तो ऐसा ही लगता है।
वहीं, अंदरखाने में चल रहे इन गतिरोधों के बीच कांग्रेस का खुला ऑफर भी उन्हें मिला है।
कांग्रेस का खुला ऑफर
कांग्रेस की तरफ से ये नीतीश को ये खुला ऑफर है कि अगर नीतीश कुमार बीजेपी का साथ छोड़कर आते हैं तो महागठबंधन में शामिल करने पर विचार किया जाएगा।
वहीं, दूसरी तरफ नीतीश के हालिया बयान और बॉडी लैंग्वेज भी एक अलग संकेत देते दिखे हैं।
दरअसल, 18 जून को पटना के एएन कॉलेज में एक कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार ने कहा था कि ‘ट्रिपल C’ से कभी समझौता नहीं करेंगे। ‘ट्रिपल C’ का मतलब भी समझ लीजिए। क्राइम, करप्शन और कम्यूनलिज्म।
नीतीश यही नहीं रुके। आगे उन्होंने कहा कि काम की बात कीजिए, एलायंस छोड़िए।
इस बयान से तो यही लगता है कि नीतीश कुमार ने छोटी सी बात में ही दूर का इशारा कर दिया है।
लगातार हमलावर है विपक्ष
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हाल के दिनों में क्राइम के मुद्दे को लेकर विपक्ष लगातार नीतीश सरकार पर हमलावर है। यही नहीं, रामनवमी के दौरान सूबे में कई जगहों पर सांप्रदायिक हिंसा भी हुआ था। खासकर भागलपुर को लेकर नीतीश सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी। भागलपुर हिंसा में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत को मुख्य आरोपी बनाया गया था। उस समय अर्जित के समर्थन में कई बीजेपी नेता भी सामने आये थे।
नीतीश के इशारे
17 जून को नई दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में नीतीश कुमार ने आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का समर्थन करते हुए बिहार को भी विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की। साथ ही केन्द्र प्रायोजित कई योजनाओं पर भी सवाल उठाये थे।
दिल्ली में ‘आप’ सरकार को लेकर चल रहे गतिरोध को लेकर जेडीयू प्रवक्ता पवन वर्मा ने कहा था कि अगर चुनी हुई किसी एक सरकार के खिलाफ ऐसा दुर्व्यवहार होता है, तो यह अन्य के खिलाफ भी हो सकता है। यह गलत है।
Shri @arunjaitley
Shri @NKSingh_MP https://t.co/Jvk7Wy3D1s— Nitish Kumar (@NitishKumar) May 29, 2018
जाहिर है नीतीश कुमार व उनकी पार्टी के नेताओं के ये बेबाक बोल काफी कुछ इशारा करते हैं कि नीतीश नया विकल्प तलाश रहे हैं। हालांकि राजनीति के जानकार यह भी मानते हैं कि नीतीश इन बयानों के जरिए बीजेपी पर दबाव बना रहे हैं। क्योंकि उन्हें पता है कि 2019 में सीट बंटवारे के दौरान बीजेपी उन्हें तवज्जो नहीं दे सकती है। ऐसे में इसके लिए अभी से माहौल बनाना होगा।
लेकिन नीतीश के बदलते मन को देखते हुए उन्हें महागठबंधन से ऑफर मिल गया है। अगर नीतीश, कांग्रेस और राजद के साथ नहीं भी जाते हैं तो वे तीसरे मोर्चे की कवायद में तो लगे हैं। इसके लिए वे बिहार एनडीए के साथियों को तोड़ेंगे, क्योंकि पासवान और कुशवाहा से उनकी नजदीकी हाल के दिनों में काफी बढ़ी है।