दिल्ली। जब किसी चीज की कोई कमी न हो तो इंसान क्या ढूंढता है? किसे ढूंढता है? क्या वो उसे मिलता है? जिसके पास धन-संपत्ति, रूपया-पैसा, लाड-प्यार, दौलत-सोहरत, सुकून-शांति, गाड़ी-घोड़ा, फ्लैट-बंगला और एक सेटल्ड करियर हो, फिर उसे किस चीज की तलाश रहती है?
रिसर्च कीजिएगा, मगर फिलहाल अरबपति की डॉक्टर बेटी ने ये सबकुछ छोड़ दिया. जबकि दुनियाभर के लोग इसके लिए दिन-रात एक किए रहते हैं. कुछ लोग इसके लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं. कुछ प्रपंच करते हैं. कुछ घोटाले करते हैं. कुछ अपराध करते हैं. कुछ सही तो कुछ गलत तरीका अपनाते हैं. मगर जिसके पास ये सबकुछ है उसे ये पसंद नहीं आया. उसने सबकुछ छोड़ दिया. अब वो साध्वी बन गई. पुराना नाम तक से छोड़ दिया. उसने एक नया नाम अपना लिया.
हिना बन गई साध्वी श्री विशारदमाल
एमबीबीएस टॉपर और अरबपति परिवार से ताल्लुक रखनेवाली हिना हिंगड ने सांसारिक जीवन त्याग दिया. सूरत में जैन धर्म की दीक्षा ग्रहण की. पूरे विधि-विधान से जैन परंपरा के मुताबिक दीक्षा ग्रहण की. जैन परंपरा में दीक्षा लेने के बाद हिना हिंगड की पहचान अब साध्वी श्री विशारदमाल हो गई. अब वो अपने माता-पिता के लिए पराई हो गई. उसने घर-परिवार, भाई-बहन और नाते-रिश्तेदार सबको छोड़ दिया.
3 साल से कर रही थी मेडिकल प्रैक्टिस
परिवार वालों के मुताबिक पिछले 12 साल से वो जैन धर्म का दीक्षा लेना चाह रही थी, मगर माता-पिता राजी नहीं हो रहे थे. आखिरकार हिना ने अपने परिवार वालों को मना लिया. 28 साल की हिना अरबपति परिवार से ताल्लुक रखती हैं. अहमदनगर यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडलिस्ट हिना पिछले 3 साल से मेडिकल का प्रैक्टिस कर रही थीं. वो अपने स्टूडेंट लाइफ में ही आध्यामिकता की तरफ आकर्षित हो गई थीं.
हिना हिंगड परिवार की 6 बेटियों में सबसे बड़ी हैं. जैन भिक्षु बनने से हिना के फैसले से उनके परिवार वाले दुखी हैं. सांसारिक जीवन छोड़कर जैन भिक्षु बन जाना, हर किसी के बस की बात नहीं है. हिना ने आध्यात्मिक गुरु आचार्य विजय यशोवर्मा सुरेश्वरजी महाराज से दीक्षा ली. दीक्षा से पहले हिना ने 48 दिनों का ध्यान पूरा किया. आचार्य विजय ने बताया कि हिना ने अपने पिछले जन्म में किए गए ध्यान और श्रद्धा की वजह से जैन धर्म की दीक्षा लेना मंजूर किया.
Gujarat: MBBS doctor Hina Kumari took ‘diksha’ to become a monk, earlier today, in Surat. pic.twitter.com/xVPD8Do333
— ANI (@ANI) July 18, 2018
कम उम्र में जैन भिक्षु बन जाना नई बात नहीं
वैसे गुजरात में कम उम्र में किसी का भिक्षु बन जाना नई बात नहीं है. हिना से पहले अप्रैल 2018 में एक हीरा कारोबारी के बेटे भव्य शाह ने भी महज 12 साल की उम्र में संन्यास लिया था. भव्य को परफ्यूम और महंगी कारों का शौक था. जिसे आखिरी दिन उनके घरवालों और दोस्तों ने पूरा किया. उसे फरारी कार में बैठाकर घुमाया गया. फिर भव्य ने घरवालों से जी भरकर बातें की, और विदा लिया.
जून 2017 में गुजरात बोर्ड के 12वीं के कॉमर्स टॉपर वर्षील शाह ने जैन धर्म की दीक्षा ली. सितंबर 2017 में मध्य प्रदेश के एक दंपति ने अपनी 3 साल की बच्ची और 100 करोड़ की संपत्ति को छोड़कर जैन धर्म की दीक्षा ले ली. 2018 में सूरत के एक हीरा कारोबारी का 12 साल का बेटा भव्य शाह जैन भिक्षु बन गया. 2014 में भव्य की बड़ी बहन प्रियांशी ने भी 12 साल की उम्र में जैन धर्म की दीक्षा ली थी. अप्रैल 2018 में ही मुंबई के हीरा कारोबारी परिवार से ताल्लुक रखनेवाले सीए मोक्षेश ने करोड़ों की संपत्ति छोड़ जैन भिक्षु बन गए.
Comments