दिल्ली। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग नहीं आएगा. राज्यसभा के चेयरमैन और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया. कांग्रेस की नेतृत्व में 7 विपक्षी पार्टियों ने उपराष्ट्रपति के सामने प्रस्ताव पेश किया था.
मगर कानूनी सलाह के बाद वेंकैया नायडू ने इसे खारिज कर दिया.
दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग
पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस का महाभियोग प्रस्ताव काफी चर्चा में था. शुक्रवार को कांग्रेस सहित 7 विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा के सभापति नायडू को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ कदाचार का आरोप लगाते हुए उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने का नोटिस दिया था.
राज्यसभा के चेयरमैन को नोटिस सौंपने के बाद विपक्ष पार्टियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी.
हालांकि इसका डिटेल में मीडिया को नहीं दिया गया था. बताया गया कि ऐसा करना संसदीय नियमों का उल्लंघन होगा.
Vice President M Venkaiah Naidu rejects the Impeachment Motion against CJI Dipak Misra. pic.twitter.com/Bz53ikvAwh
— ANI (@ANI) April 23, 2018
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‘अब विनाश काले पप्पू बुद्धि’
चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग लाने की वजह से अब कांग्रेस और बीजेपी में आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है.
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इसे महामूर्खतापूर्ण कदम बताया. उन्होंने कहा कि जैसा कि कहते हैं ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’, उसी तरह ये कांग्रेस पार्टी की ‘विनाश काले पप्पू बुद्धि’ है.
कांग्रेस ने कथित भ्रष्टाचार के आरोपों ले मुक्त होने तक चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के न्यायिक और प्रशासनिक कामकाज से खुद को अलग कर लेने की मांग की.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाल ने कहा कि बीजेपी चीफ जस्टिस का बचाव कर न्यायपालिका के सर्वोच्च पद का अपमान कर रही है. इस मसले का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए.
महाभियोग में कांग्रेस के आरोप
कांग्रेस और 7 विपक्षी पार्टियों ने जिस अधार पर चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग लाया था
उसके मुताबिक मुख्य न्यायाधीश के पद के मुताबिक आचरण न होना. प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट में फायदा उठाने का आरोप भी महाभियोग में लगाया गया है.
इस में मुख्य न्यायाधीश के नाम आने के बाद सघन जांच की मांग की गई है. बैक डेटिंग का भी आरोप महाभियोग में लगाया गया है.
जमीन अधिग्रहण करना, फर्जी एफिडेविट लगाना और सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के बाद 2013 में जमीन को सरेंडर करने का भी जिक्र महाभियोग में किया गया है. इसके अलावा कई संवेदनशील मुद्दों को चुनिंदा बेंच को देने का भी आरोप लगाया है.