दिल्ली। पिछले दो हफ्तों से निपाह वायरस का खौफ पूरे देश में फैलता जा रहा है। इसका सबसे ज्यादा असर केरल में है। अब तक इस वायरस की वजह से हुई बीमारी में चौदह लोगों की मौत हो गई है। लेकिन आइए हम आपको बताते हैं कि कैसे यह वायरस फैलता है और इससे बचाव के उपाय क्या हैं।
निपाह वायरस तेजी से उभरता हुआ वायरस
डब्लूएचओ के अनुसार निपाह वायरस तेजी से उभरता हुआ वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है। इस वायरस के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह में पता चला था।
वहीं से इस वायरल को ये नाम मिला। उस वक्त इस बीमारी के वाहक सूअर बनते थे। लेकिन इसके बाद जहां-जहा निपाह के बारे में पता चला, इस वायरस को लाने ले जाने वाले कोई माध्यम नहीं थे।
साल 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए। इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखा था औऱ इस तरल तक वायरस को ले जानी वाली चमगादड़ थी, जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है।
इसके साथ ही इस वायरस के एक इंसान से दूसरे इंसान तक पहुंचने की पुष्टि भी हुई और ये भारत के अस्पतालों हुआ। केरल के एक अस्पताल में मरीज की इलाज के दौरान संपर्क में आई एक नर्स की मौत हो गई थी। वहीं, इंसानों और जानवरों को इस बीमारी को दूर करने के लिए अभी तक कोई इंजेक्शन नहीं बना है।
24-48 घंटों में कोमा में चला जाता है मरीज
दरअसल, इस बीमारी के लक्षण ये हैं कि 24-48 घंटों में मरीज कोमा में चला जाता है। इंफेक्शन के शुरुआती दौर में सांस लेने में समस्या होती है जबकि आधे मरीजों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं।
साल 1998-99 में जब ये बीमारी फैली थी तो इस वायरस की चपेट में 265 लोग आए थे। अस्पतालों में भर्ती हुए इनमें करीब 40 फीसदी मरीज ऐसे थे जिन्हें गंभीर नर्वस बीमारी हुई थी और ये बच नहीं पाए थे।
इसके साथ ही दिमाग में सूजन होने लगता है। तेज बुखार और सिरदर्द होता है। साथ ही मांसपेशियों में दर्द होता है। इससे बचाव के लिए कहा जाता है कि फल न खाएं।
उस व्यक्ति के नजदीक न जाएं जो इस वायरस से पीड़ित हो। इस वायरस की वजह से जिनकी मौत हुई हो, उनके शव से भी दूर रहें। अगर आपको तेज बुखार हो तो अस्पताल जाएं।
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