बेंगलुरु। कर्नाटक चुनाव में वोटिंग के बाद आए एग्जिट पोल ने लोगों को कंफ्यूज कर दिया है। विभिन्न मीडिया संस्थाओं के एग्जिट
पोल ने यह साबित कर दिया है कि इस चुनाव में न मोदी, न शाह और न राहुल किंग मेकर की भूमिका होंगे। अगर एग्जिट पोल के
अनुसार नतीजे आएं तो सत्ता की चाभी किसी और के पास होगी।
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कांग्रेस का दलित कार्ड आएगा काम?
हालांकि एग्जिट पोल के नतीजों के बाद बीजेपी व कांग्रेस दोनों अपने-अपने जीत का दावा कर रही है।
चुनावी अभियान में खुद को मौजूदा और भावी सीएम बताने वाले कांग्रेसी नेता सिद्धारमैया ने रविवार को कहा कि
जरूरत पड़ने पर वो दलित मुख्यममंत्री के लिए कुर्सी खाली कर सकते हैं,
हालांकि उन्हें कांग्रेस के जीतने पर यकीन है।
वहीं, एग्जिट पोल के नतीजों के बाद बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा का कहना है
कि वो लिखकर देने को तैयार हैं कि बहुमत भाजपा के हिस्से में ही आएगा।
दोनों दल बाहर से कुछ भी दावा करें, लेकिन ये समझना आसान है कि
जब तक नतीजे नहीं आ जाते हैं तब तक भाजपा और कांग्रेस के दिलों की धड़कन बढ़ी रहेगी।
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कर्नाटक का किंगमेकर होंगे देवेगौड़ा?
लेकिन कर्नाटक चुनाव में बीजेपी व कांग्रेस की हालात जो भी हैं,
लेकिन दोनों के बीच एक राजनीतिक दल ऐसा है जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है।
जिस पार्टी का नाम कल तक जनता दल सेक्युलर है,
उसे कर्नाटक के नतीजे करीब आते-आते नया नाम मिल गया है किंगमेकर।
एग्जिट पोल के नतीजों पर यकीन कर आगे बढ़ा जाए तो
पूर्व पीएम एच डी देवगौड़ा और उनके बेटे एच डी कुमारस्वामी की ये पार्टी
अचानक ही अहम हो गई है। ऐसे में अब सवाल उठने लगे कि ये किंगमेकर किसे किंग बनाएंगे।
क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने बीच में ऐसे बयान दिए थे जो उन्हें देवेगौड़ा के करीब ले जाएं।
कयास लगे कि शायद जनता दल सेक्युलर जरूरत पड़ने पर भाजपा के साथ जा सकती है।
हालांकि कांग्रेस ने भी ये संकेत दिए हैं कि बहुमत न आने की सूरत में वो मिलकर चलने की तैयारी कर सकते हैं।
लेकिन देवेगौड़ा व उनके बेटे की तरफ अब इस बात के कोई संकेत नहीं मिले हैं कि ऊंट किस करवट बैठेगा।
‘कर्नाटक में हम अच्छा प्रदर्शन करेंगे’
एक इंटरव्यू के दौरान देवेगौड़ा कह चुके हैं कि तमाम मुश्किलों के बावजूद वे कर्नाटक में अच्छा प्रदर्शन करने जा रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि मोदी इसलिए मेरी तारीफ कर रहे हैं क्योंकि हम अच्छा करने जा रहे हैं।
यही वजह है कि एग्जिट पोल में त्रिशंकु विधानसभा की संभावनाओं ने इन सवालों को जन्म दिया
कि देवेगौड़ा-कुमारस्वामी जरूरत और हालात पड़ने पर किस तरफ जाएंगे।
हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा के बजाए क्या जनता दल सेक्युलर, कांग्रेस की तरफ नहीं जा सकती?
राजनीति में किसी भी सवाल का निश्चित रूप से देना बड़ा मुश्किल है।
ऐसे में सवाल उठता है कि पिता-पुत्र में चलेगी किसकी?