/जानिए, क्यों नहीं होती है निपाह वायरस के वाहक चमगादड़ की मौत?
जानिए, क्यों नहीं होती है निपाह वायरस के वाहक चमगादड़ की मौत?

जानिए, क्यों नहीं होती है निपाह वायरस के वाहक चमगादड़ की मौत?

जानिए, क्यों नहीं होती है निपाह वायरस के वाहक चमगादड़ की मौत?

दिल्ली। निपाह वायरस को लेकर देश के ज्यादातर हिस्सों में अलर्ट जारी है। अभी तक जो बात सामने आ रही है, उसके मुताबिक चमगादड़ की वजह से निपाह वायरस फैलता है।

लेकिन सवाल उठता है कि इतने खतरनाक वायरस को हम तक पहुंचाने वाली चमगादड़ की मौत क्यों नहीं होती है। आइए हम आपको बताते हैं इसके पीछे की वजह।

ये भी पढ़ें: क्या है निपाह वायरस जिसने पूरे देश को दिया है डरा, ऐसे करें इससे बचाव

चमगादड़ के शरीर में एंटीबॉडीज

दरअसल, रात को निकलने वाले इस फलभक्षी चमगादड़ के शरीर में विशेष प्रकार की एंटीबॉडीज पाई जाती हैं। इसी कारण से निपाह वायरस चमगादड़ को प्रभावित नहीं कर पाता है। यह वायरस चमगादड़ के शरीर में सुप्त अवस्था में पड़ा रहता है, जिसे शेडिंग कहते हैं।

जब चमगादड़ कोई फल खाता है या ताड़ी जैसा कोई पेय पीता है तो वायरस चमगादड़ से उन चीजों में प्रसारित हो जाता है। ये वायरस चमगादड़ के मल-मूत्र द्वारा भी दूसरे जीवों और खासतौर पर स्तनधारियों को संक्रमित कर सकता है। संक्रमित होने पर अजीब तरह का बुखार आता है जो सही समय पर इलाज न मिलने से जानलेवा बन जाता है।

केरल में बहुत चमगादड़ पाए जाते हैं

वहीं, केरल में फैलने की वजह यह है कि भारत के दक्षिणी राज्यों खासतौर पर केरल में चमगादड़ बहुतायत में हैं जो श्रीलंका तक फैले हैं। हालांकि केरल के मामले में भी यह अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है कि यह बीमारी चमगादड़ की वजह से ही फैल रही है।

दरअसल, इस बीमारी के लक्षण ये हैं कि 24-48 घंटों में मरीज कोमा में चला जाता है। इंफेक्शन के शुरुआती दौर में सांस लेने में समस्या होती है जबकि आधे मरीजों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं।

साल 1998-99 में जब ये बीमारी फैली थी तो इस वायरस की चपेट में 265 लोग आए थे। अस्पतालों में भर्ती हुए इनमें करीब 40 फीसदी मरीज ऐसे थे जिन्हें गंभीर नर्वस बीमारी हुई थी और ये बच नहीं पाए थे।

इसके साथ ही दिमाग में सूजन होने लगता है। तेज बुखार और सिरदर्द होता है। साथ ही मांसपेशियों में दर्द होता है।