दिल्ली। भारतीय बैंकों को हजारों करोड़ का चपत लगानेवाले विजय माल्या और नीरव मोदी की चर्चा होती रहती है. हाल ही में ब्रिटेन की एक कोर्ट से विजय माल्या को झटका लगा है. ब्रिटेन में उनकी प्रोपर्टी की तलाशी का अधिकार इंडियन अफसरों को मिल गया है. हालांकि नीरव मोदी अब भी बिना परेशानी के लैविस लाइफ जी रहा है.
दुनिया के टॉप 6 जालसाज
भारत में एक से बढ़कर एक जालसाल हुए. इसमें नटवर लाल ने काफी सुर्खियां बटोरी, उस पर फिल्म भी बनी है. इसके अलावा भी समय-समय पर बहुत से जालसाजों की कहानियां सुनी और सुनाई जाती है. मगर हिन्दुस्तान से बाहर दुनिया में ऐसे भी जासलाज रहे हैं. जिनके जासलाजी के तरीके के बारे में सुनकर आप चौंक जाएंगे. किसी ने एक दिन में ढाई लाख डॉलर बनाए को किसी ने सरकारी इमारतों को बेच डाला.
1. चार्ल्स पॉन्जी
इटली के चार्ल्स पॉन्जी ने जालसाजी की वजह से ऐसा नाम कमाया कि दुनिया में जितने भी इन्वेस्टमेंट फ्रॉड या पिरामिड स्कीम को उन्हीं के नाम (पॉन्जी स्कीम) से जाना जाता है. 1918-1920 के बीच पॉन्जी ने बड़े पैमाने पर इंटरनेशनल ट्रेडिंग स्कीम चलाई जो कि मेल स्टैंप पर रिप्लाई कूपन से जुड़ी थी. एक समय तो ऐसा आया जब बोस्टन में पॉन्जी फर्स्ट वर्ल्ड वार के बाद 1 करोड़ 71 लाख रुपए रोजाना बना रहे थे. हालांकि फिर वो पकड़े गए और आखिर में उनके पास सिर्फ 48 करोड़ रुपए बचे.
2. बर्नार्ड मैडॉफ
अमेरिकी स्टॉक ब्रोकर रहे मैडॉफ फिलहाल जेल में डेढ़ सौ साल की सजा काट रहे हैं. उन्होंने सिक्योरिटीज से जुड़ा फ्रॉड किया था. जब उनकी पॉन्जी स्कीम का खुलासा नहीं हुआ था तब तक एक इन्वेस्टर के तौर पर मैडॉफ को बड़ी इज्जत हासिल थी. मैडॉफ के पॉन्जी स्कीम की वजह से निवेशकों के करीब 4.46 लाख करोड़ रुपए डूब गए. मैडॉफ को खुद उनके बेटे ने 2008 में पकड़वाया था.
3. जॉर्ज सी पार्कर
पार्कर लोगों से कहते थे कि उनके पास बेचने के लिए एक पुल है. इन्होंने न्यूयॉर्क के मशहूर ब्रुकलिन पुल को बेचने की कोशिश की थी. पार्कर ने इस ब्रिज के मालिकाना हक वाला फर्जी दस्तावेज तैयार करा लिए थे. पार्कर ने न्यूयॉर्क सिटी के मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी और ग्रैंट्स टंबू की भी सौदा कर ली थी.
4. फ्रैंक एबिग्नेल
एबिग्नेल की जिंदगी पर ‘कैच मी इफ यू कैन’ नाम की फिल्म बनी थी. ये एक पेशेवर जालसाज था. इसने कभी पायलट तो कभी डॉक्टर तो कभी प्रोफेसर का ढोंग करके फर्जीवाड़ा किया था. फ्रैंक बैंक चेक, पासपोर्ट और दूसरे फर्जी आईडी बनवाने में भी एक्सपर्ट था.
5. कोनरेड कजाऊ
फर्जी चीज को असली बनाकर बेचने में कोनरेड कजाऊ को महारत हासिल थी. एक जर्मन मैगजीन स्टर्न ने नाजी तानाशाह हिटलर के फर्जी जर्नल का कलेक्शन 1983 में 25 करोड़ रुपए में खरीदा. 2 हफ्ते बाद पता चला कि ये फर्जी है. इन्हें हिटलर की डायरी बताकर कोनरेड ने बेचा था. 1945 में जब प्लेन क्रैश हुआ था ये सब चीजें खो गई थी. पत्रकार हीदमैन ने इन्हें खोज निकालने का दावा
किया था.
6. वेल्स फारगो
वेल्स फारगो की फ्रॉड पर फिलहाल किताब लिखी जा रही है. इस बड़े अमेरिकी बैंक में बिजनेस को बढ़ता हुआ दिखाने के लिए करीब 35 लाख फर्जी अकाउंट खोले गए. मामला सामने आने के बाद बिना जांच के ही लाखों अकाउंट को बंद कर दिया गया.