दिल्ली। गोरखपुर और फूलपुर के चुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इसके पीछे की वजह यह थी कि सपा और बसपा एक साथ मिलकर यह उपचुनाव लड़ी थी। मायावती, अखिलेश और कांग्रेस ने यह संकेत दे दिए हैं कि 2019 का चुनाव साथ मिलकर ही लड़ेंगे।
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‘सपा-बसपा गठबंधन बीजेपी के लिए चुनौती’
पहले इन तीनों के साथ आने से बीजेपी की सेहत पर असर की बात को खारिज करने वाले अमित शाह ने भी यह स्वीकार लिया है कि 2019 में सपा और बसपा के बीच गठबंधन बीजेपी के लिए चुनौती साबित होगा।
उन्होंने यह भी कहा है कि बीजेपी इस बार कांग्रेस को रायबरेली या अमेठी में हराएगी। शाह ने यहां मोदी सरकार के चार साल पूरे होने पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि अगर बसपा औऱ सपा गठबंधन बना कर चुनाव लड़ेंगी, तो यह हमारे लिए एक चुनौती होगी। हालांकि, हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि हम अमेठी या रायबरेली में से एक सीट जरूर जीतेंगे।
‘चाहते हैं शिवसेना साथ रहे’
शाह ने यह भी कहा कि हम महाराष्ट्र में गठबंधन के पुराने साथी शिवसेना से अलग नहीं होना चाहते हैं, लेकिन अगर शिवसेना अपनी अलग राह चुनना चाहती है, तो फिर हम क्या कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि 2019 में, भाजपा महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ चुनाव लड़ेगी। हम उन्हें एनडीए से बाहर नहीं करना चाहते हैं। लेकिन, अगर वे बाहर जाते हैं, तो यह उनकी इच्छा है।
दरअसल, अमित शाह को इस बात का डर है कि अगर सपा और बसपा एक साथ आ जाती है तो यादव, मुस्लिम और दलित वोटों एकतरफा इस गठबंधन के पक्ष में चले जाएंगे।
इसके बाद बीजेपी के लिए राह आसान नहीं होगी। वहीं, हाल के दिनों में बीजेपी के प्रति दलितों में गुस्सा है। इस वजह से भी वहां नुकसान हो सकता है। वहीं, कांग्रेस लगातार मोदी को रोकने के लिए सभी विपक्षी नेताओं को एक मंच पर लाने की कोशिश में लगी है।
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