कैराना जाने से इसलिए डर रहे हैं अखिलेश यादव!

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कैराना जाने से इसलिए डर रहे हैं अखिलेश यादव!

कैराना जाने से इसलिए डर रहे हैं अखिलेश यादव!

दिल्ली। सपा-बसपा गठबंधन पर लोगों का भरोसा अभी बरकरार है कि नहीं इसका टेस्ट कैराना और नूरपुर उपचुनाव में होना है। इस बीच यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने चुनाव प्रचार नहीं करने का फैसला किया है।

वहीं, ऐसी भी संभावना है कि अखिलेश नूरपुर में भी चुनाव प्रचार के लिए नहीं जाएंगे। बताया जा रहा है कि महागठबंधन को आशंका है कि कैराना में चुनाव प्रचार और बड़ी रैलियों का दांव उल्टा पड़ा सकता है और इससे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का मौका मिल जाएगा।

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अखिलेश की रैली से बीजेपी को फायदा?

दरअसल, अखिलेश यादव को आरएलडी और एसपी के स्टार प्रचारक की लिस्ट में रखा गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एसपी और आरएलडी का यह मानना है कि बड़ी रैलियों से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हो सकता है और यह बीजेपी को फायदा पहुंचा सकता है।

महागठबंधन की नजरें जाट और गुर्जर वोट बैंक पर है। कैराना और नूरपुर में दलितों और मुस्लिमों की कुल आबादी 40 फीसदी के करीब है।

वहीं, अखिलेश के चुनाव प्रचार नहीं करने के फैसले पर स्पष्टीकरण देते हुए सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि यह पार्टी का फैसला है कि सार्वजनिक रैलियों की जगह घर-घर जाकर चुनाव प्रचार किया जाए।

समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता इस काम में लगे हैं और अखिलेश यादव उनसे लगातार संपर्क में हैं। कार्यकर्ता कैराना में आरएलडी उम्मीदवार तबस्सुम के पक्ष में वोट मांग रहे हैं।

आरएलडी कर रही है छोटी-छोटी बैठकें

आरएलडी नेता का मानना है कि पार्टी की बड़ी रैलियों की जगह छोटी-छोटी बैठकें करने का फैसला सही लिया गया है। आरएलडी के अध्यक्ष अजित सिंह और उपाध्यक्ष जयंत चौधरी गांव-गांव जाकर बैठकें कर रहे हैं। उन लोगों को बीजेपी की तरह बड़ी रैली करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

गौरतलब है कि आरएलडी ने अखिलेश को स्टार प्रचारक बनाया था। इसके बावजूद वह प्रचार से खुद को दूर रखे हैं। एसपी और आरएलडी का कहना है कि उनके गठबंधन से बीजेपी को डर है इसलिए बीजेपी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए बड़ी रैलियां कर रही हैं।

बीजेपी की नजर जाट और गुर्जर वोट पर है। इतना ही नहीं कांग्रेस औऱ बीएसपी ने भी अपने समर्थकों से एसपी और आरएलडी के उम्मीदवारों को चुपचाप सपोर्ट करने को कहा है।

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