दिल्ली। गुजरात के चर्चित हीरा कारोबारी सावजी ढोलकिया ने एक बार फिर दरियादिली दिखाई है. कपंनी में 25 साल पूरा करनेवाले कर्मचारियों को तोहफे में एक-एक मर्सिडीज बेंज कार गिफ्ट में दी है. इस बार अपने तीन कर्मचारियों को ढोलकिया ने गिफ्ट में मर्सिडीज कार दी है.
गिफ्ट में मर्सिडीज कार
हरि कृष्णा एक्पोर्ट्स में तीन कर्मचारियों ने 25 साल पूरे किए थे. उन्हें कंपनी की तरफ से इस बार गिफ्ट में मर्सिडीज बेंज दी गई. इस कंपनी के चेयरमैन सावजी ढोलकिया हैं. इन कर्मचारियों को कार की चाबियां गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दीं. एक करोड़ रुपए से ज्यादा की जीएल फॉर्मेटिक मॉडल कारें बतौर सरप्राइज गिफ्ट दी गई. ये तीनों कर्मचारियों ने बहुत ही शुरुआती दौर में कपंनी को ज्वाइन किया था.
गिफ्ट पाने वाले निलेश जाड़ा (40), मुकेश चांदपारा (38) और महेश चांदपारा (43) हैं. ये लोग मैनेजमेंट समेत कई काम संभाल रहे हैं. इनके बारे में कंपनी के चेयरमैन ढोलकिया ने कहा कि ”ये तीनों जब कंपनी में आए थे तो इनकी उम्र करीब 13 से 15 साल के बीच थी. इन्होंने काम सीखने की शुरुआत डायमंड कटिंग और उसे पॉलिश करने से की थी. अब ये अपने काम में महारथी ही नहीं बल्कि बहुत सीनियर भी हैं. ये हमारी कंपनी के भरोसेमंद लोगों में से हैं”.
पहले भी दे चुके हैं सरप्राइज गिफ्ट
गिफ्ट में मर्सिडीज कार की चाबी मिलने के बाद निलेश जाड़ा ने कहा कि ”ये उपहार इस बात का सर्टिफिकेट हैं कि मैं ईमानदारी से काम कर रहा हूं. जब आप अपना काम ईमानदारी और लगन से करते हैं तो आपको बेहतर रिजल्ट मिलता है और ये इस बात का उदाहरण है”. फिलहाल इनोवा से चलनेवाले जाड़ा ने कहा कि ”मेरे मालिक देने में यकीन करते हैं न कि कुछ पाने में”.
सावजी ढोलकिया उस वक्त पूरे देश में चर्चित हो गए थे जब उन्होंने 2014 में दीपावली बोनस के तौर पर अपने कर्मचारियों को 491 कारें और 207 फ्लैट दिए थे. वहीं 2016 में दीपावली से पहले कर्मचारियों को 1260 कारें और 400 फ्लैट बांटे थे. मगर इस बार उन्होंने अपने भरोसेमंद तीन कर्मचारियों को गिफ्ट में मर्सिडीज कार दी है. हरि कृष्णा एक्सपोर्ट्स में साढ़े 5 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. इस कंपनी का सलाना टर्न ओवर 6 हजार करोड़ रुपए का है.
कौन हैं सावजी ढोलकिया?
गिफ्ट में मर्सिडीज कार देनेवाले सावजी ढोलकिया 41 साल पहले 1977 में अपने गांव से महज साढ़े 12 रुपए लेकर सूरत अपने चाचा के यहां आए थे. ये पैसे उन्होंने बस का टिकट खरीदने में खर्च कर दिए. ऐसे हालात से गुजरकर सावजी ढोलकिया ने इतनी बड़ी कंपनी खड़ी की, जिसके लिए वे अपने कर्मचारियों की मेहनत का नतीजा मानते हैं. सावजी की दरियादिली को देखकर सूरत और उसके आसपास सौराष्ट्र इलाके में सावजी काका कहकर बुलाया जाता हैं.
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