दिल्ली। जिस पर आप सर्च कर दुनिया हाल जानते हैं, उसी पर उसी के बारे में सामाचार सर्च करना पड़े तो कैसा होगा? गूगल के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है. अब गूगल पर सर्च कर गूगल के बारे में लोग न्यूज़ पढ़ रहे हैं.
लोग ये जानना चाह रहे हैं कि हिन्दुस्तान के जैसे देश में किसी राज्य का जितना बजट होगा, उतना तो गूगल पर जुर्माना लगा है. तो ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर गूगल का गुनाह क्या है? वैसे भी आजकल गूगल को एक इंडियन हेड कर रहा है.
3.4 लाख करोड़ वाला इल्जाम
दरअसल यूरोपीय यूनियन (ईयू) ने गूगल कंपनी पर 4.34 बिलियन यूरो यानी 5 बिलियन डॉलर यानी 3.4 लाख करोड़ यानी 34 खरब रुपये यानी 34,308 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया है. इसे एंटीट्रस्ट फाइन कहा जा रहा है. हिन्दी में मतलब हुआ भरोसे को तोड़ने पर जुर्माना. यानी जिसने आपके भरोसे को तोड़ दिया. अब आप उसे क्या कहते हैं? सोचने के लिए स्वतंत्र हैं.
गूगल पर आरोप है कि उसने गैरकानूनी तरीके से एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल, अपने सर्च इंजन के फायदे के लिए किया. यूरोपीय यूनियन के कमिश्नर मारग्रेथ वेस्टेजर ने कहा कि ”गूगल ने एंड्रॉयड का इस्तेमाल अपने सर्च इंजन को मजबूत करने के लिए किया है. ये ईयू के एंटीट्रस्ट नियमों के मुताबिक गैरकानूनी है. गूगल को 3 महीने के भीतर इसे बंद देना चाहिए. वरना अल्फाबेट से होनेवाली आमदनी का 5 फीसदी रोजना जुर्माने के तौर पर वसूला जाएगा”.
इल्जाम पर गूगल ने क्या कहा…
34,308 करोड़ वाले आरोप पर गूगल ने कहा कि ”वो जुर्माने के खिलाफ अपील करेगा”. गूगल की तरफ से प्रवक्ता अल वर्नी ने कहा कि ”एंड्रॉयड लोगों को ज्यादा ऑप्शन देने के लिए बनाया गया है. ये रैपिड इनोवेशन और अच्छी सुविधाओं की कीमत कम करने में मदद करता है”.
गूगल के सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) सुंदर पिचाई ने ईयू के फैसले की आलोचना की. उन्होंने लंबा-चौड़ा एक ब्लॉग लिखा. जिसमें उन्होंने हेडिंग दिया, ”एंड्रॉयड ने ज्यादा ऑप्शन दिए हैं, कम नहीं”.
अपने ब्लॉग में उन्होंने कहा कि ”गूगल का एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम ऐपल के आईओएस ऑपरेटिंग सिस्टम से टक्कर लेता है. आज एंड्रॉयड की वजह से हर कीमत पर 13 हजार अलग-अलग कंपनियों के 24 हजार से ज्यादा डिवाइस मार्केट में मौजूद है. ये दुनिया के हर कोने में और हर भाषा में है.
आमतौर पर एंड्रॉयड स्मार्ट फोन 40 प्री लोडेड ऐप्स के साथ आते हैं. ये ऐप्स सिर्फ उस कंपनी के नहीं होते हैं जिसका फोन है. बल्कि इनमें कई डेवेलपर्स के ऐप्स होते हैं. अगर आप कोई दूसरा ऐप, ब्राउजर या सर्च इंजन यूज करना चाहते हैं तो आप प्री लोडेड ऐप्स को आसानी से डिसेबल या डिलीट कर सकते हैं. इसके बदले कोई दूसरा ऐप यूज कर सकते हैं. इनमें 1.6 मिलियन यूरोपियंस के भी ऐप्स हैं जो ऐप डेवेलपर्स हैं”.
सुंदर पिचाई के मुताबिक ”एक आम एंड्रॉयड फोन यूजर खुद से 50 ऐप्स इंस्टॉल करता है. पिछले साल दुनिया भर में लगभग 94 बिलियन ऐप्स गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किए गए. इनमें ओपेरा मिनी और फायरफॉक्स जैसे ब्राउजर्स भी हैं. जिनमें 100 मिलियन बार ज्यादा डाउनलोड किया गया. जबकि यूसी ब्राउजर 500 मिलियन से ज्यादा बार डाउनलोड किया गया”.
कहीं ट्रेड वॉर इफेक्ट तो नहीं?
बात सिर्फ इतनी भर नहीं है. कमिशन का कहना है कि ”गूगल, फोन कंपनियों को पहले से गूगल सर्च इंस्टॉल करने के लिए पैसे देती है”. वेस्टेजर को उनके फैसले को लेकर यूरोपीय यूनियन में तारीफ हो रही है. मगर वाशिंगटन गुस्से में है. इस फैसले के खिलाफ ट्रेड वॉर का खतरा और बढ़ गया है. गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने यूरोप से स्टील और ऐल्युमिनियम के आयात पर टैक्स लगा दिया है.