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बैंकिंग फ्रॉड खत्म करने में कितना कारगर होगा जेटली मंत्र ?

बैंकिंग फ्रॉड खत्म करने में कितना कारगर होगा जेटली मंत्र ?

बैंकिंग फ्रॉड खत्म करने में कितना कारगर होगा जेटली मंत्र ?

दिल्ली। पब्लिक सेक्टर बैंकों के प्रमुखों और निदेशकों के साथ बैठक में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बैंकिंग फ्रॉड से निपटने के लिए कई टिप्स दिए। वित्त मंत्री के मंत्र में नसीहत भी थी, निर्देश भी और सलाह भी। बैंकिंग फ्रॉड पर जेटली मंत्र कितना कारगर होगा देखने वाली बात होगी. अरूण जेटली ने कहा कि बैंकों को फ्रॉड मामले में प्रभावी और ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

बैंकिंग फ्रॉड पर जेटली मंत्र

बैंकिंग फ्रॉड पर जेटली मंत्र कहता है कि बैंक साफ-सुधरे कर्ज देने पर फोकस करे और कर्ज देते वक्त सतर्कता भी बरते ताकि बैंकिंग सिस्टम पर लोगों का भरोसा कायम रह सके। उन्होंने कहा कि बैंकिंग सिस्टम पर लोगों का भरोसा कायम रखना जरूरी है। इसके लिए बैंकों को क्लीन लेंडिंग पॉलिसी पर कर्ज देना चाहिए।

8% के करीब रहेगा विकास दर

इस दौरान वित्त मंत्री ने देश की विकास दर 8 फीसदी के करीब रहने की उम्मीद जताई। बैंकिंग फ्रॉड पर जेटली मंत्र के मुताबिक आर्थिक विकास से बैंकों में मजबूती आएगी। इसके उलट उन्होंने ये भी कहा कि बैंक भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ की तरह हैं और उन्हें भी ग्रोइंग इकॉनोमी के कर्ज की जरूरतों को सपोर्ट करने के लिए मजबूती से खड़ा रहना उतना ही अहम है।

किन मुद्दों पर फंस रही है सरकार

दरअसल सरकार सकते में है। बैंकिंग फ्रॉड पर जेटली मंत्र यूं ही नहीं आया है. एक के बाद एक कई बैंक फ्रॉड से सरकार की किरकिरी हुई है। साथ ही वित्त मंत्री अरूण जेटली से मिलने के भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के बयान के बाद सरकार पर सवाल उठने लगे हैं। विजय माल्या ने कहा था कि वो भारत छोड़ने से पहले वित्त मंत्री से मिले थे, हालांकि वित्त मंत्री अरूण जेटली ने इसपर सफाई भी दी, लेकिन विपक्ष को हमला बोलने का मौका मिल गया था।

यही नहीं, राफेल डील स्कैम में भी मोदी सरकार की फजीहत हो चुकी है। डील में रिलायंस के शामिल होने पर सवाल उठने के बाद सरकार ने सफाई तो दी लेकिन फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांदे के इस बयान के बाद कि रिलायंस के साथ डील करने का सुझाव भारत सरकार की तरफ से ही दिया गया था, मोदी सरकार पर विपक्ष हमलावर है।

मगर बैंकिंग फ्रॉड पर जेटली मंत्र घरेलू स्तर पर काम नहीं आ रहा. बढ़ती महंगाई और पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं। पेट्रोल-डीजल में लगाए जानेवाले टैक्स पर विपक्ष लगातार सवाल खड़े कर रहा है।