रांची। दिल्ली के बुराड़ी के बाद झारखंड में सामूहिक खुदकुशी के दो मामले आए हैं। करीब 15 दिन पहले हजारीबाग में कर्ज से परेशान एक ही परिवार के छह लोगों ने खुदकुशी कर ली थी। अब झारखंड की राजधानी रांची में एक ही परिवार के सात लोगों ने खुदकुशी कर ली है। परिवार में पांच लोगों की मौत गला दबाने से और दो लोगों की फांसी पर लटकने से मौत हुई है।
झारखंड में सामूहिक खुदकुशी के दो मामले
पुलिस के अनुसार अभी तक जो जांच हुई है, उसके मुताबिक दोनों भाइयों ने पहले पांच लोगों की गला दबाकर हत्या की, उसके बाद दोनों फांसी लगया। इस घटना के बाद कांके थाना क्षेत्र के बोडिया इलाके में सनसनी फैल गई है। घर से पुलिस को 15 पन्ने का सुसाइड नोट भी मिला है।
एक निजी कंपनी में काम करने वाले दीपक झा ने अपने छोटे भाई रूपेश के साथ मिलकर अपनी माता-पिता, पत्नी और दो बच्चों की हत्या कर खुद भी फांसी लगाकर खुदकुशी की। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जांच में एक और बात सामने आई कि दीपक झा की छोटी बहन ने अंतरजातीय विवाह की थी।
जिसके बाद दीपक झा के परिवारवालों ने उसके जीते जी ही उसका दाह संस्कार कर क्रियाकर्म तक कर दिया था। अपने पूरे परिवार की मौत की सूचना पाकर भी घर की बेटी संध्या मौके पर नहीं आई। इस मामले की जांच के लिए रांची एसपी के नेतृत्व में एक जांच टीम गठन कर दिया गया है जो इस पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपेगी।
कमरे से 15 पन्ने का सुसाइड नोट मिला
झारखंड में बुराड़ी जैसे ही सामूहिक आत्महत्या मामले में सुसाइड नोट से राज खुला है। पुलिस के हाथ 15 पन्नों का एक सुसाइड नोट लगा है। जिसमें खुदकुशी की वजह लिखी गई है। सुसाइड नोट के अनुसार यह परिवार पूरी तरह से कर्ज में डूबा हुआ था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मामले की जांच में जुटी रांची पुलिस को कमरे से 15 पन्ने का सुसाइड नोट मिला है, सुसाइड नोट में आत्महत्या की कई वजहों का जिक्र किया गया है।
रांची के डीआईजी अमोल वी होमकर ने बताया कि दीपक और रुपेश जिस कंपनी में काम किया करते थे उस कंपनी में किसी के द्वारा गबन किया गया था। दोनों भाइयों को डर था कि उन्हें इस मामले में फंसा दिया जाएगा। इस वजह से पूरा परिवार परेशान था। मृतकों में दीपक झा, उनकी पत्नी सोनी देवी, भाई रूपेश झा, मां गायत्री देवी, पिता सच्चिदानंद, एक बेटा जंगू और बेटी दृष्टि शामिल है।
नहीं थे स्कूल फी, दूध और किराना के पैसे
सुसाइड नोट में दीपक झा ने इस बात का भी जिक्र किया है कि उनका डेढ़ साल का बेटा जंगू मस्तिक के गंभीर बीमारी से ग्रसित था। उसके इलाज में 20 लाख रुपये से अधिक की रकम खर्च हो चुकी थी। इस वजह से बाजार में काफी कर्ज हो गया था।
दीपक झा के पिता रेलवे में नौकरी किया करते थे वहां से सेवानिवृत होने के बाद भी अपने दोनों बेटे के साथ रांची में ही रहा करते थे। उन्हें लगभग 20 हजार रुपये पेंशन के तौर पर मिलते थे।
लेकिन बच्चे की बीमारी में सारे पैसे खर्च हो जाया करते थे। रांची डीआईजी ने यह भी बताया कि परिवार इस तरह कर्ज में डूब चुका था कि उनके पास बच्चों के स्कूल फी, दूध और किराना के पैसे देने के लिए भी रकम नहीं जुट रही थी।