पटना। लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले नीतीश कुमार ने गड़े मुर्दे को फिर से उखाड़ना शुरू किया है. सबसे पहले नोटबंदी के मुद्दे पर नीतीश कुमार ने यू-टर्न लिया. अब एक बार फिर से ब्लॉग लिखकर केंद्र सरकार से बिहार को स्पेशल स्टेटस देने की पुरानी मांग दुहराई है.
पहले नोटबंदी का समर्थन फिर सवाल
इससे पहले नीतीश कुमार ने 2016 में नोटबंदी के फैसले का समर्थन किया था. मगर बीते दिनों उन्होंने नोटबंदी के फैसले पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा कि नोटबंदी से आम लोगों को फायदा नहीं मिला.
स्पेशल स्टेटस के मुद्दे पर लिखे अपने ब्लॉग में नीतीश कुमार ने कहा कि ऐतिहासिक रुप से पक्षपातपूर्ण नीतियों और अलग-अलग सामाजिक-आर्थिक कारणों की वजह से बिहार का विकास बाधित रहा है.
साथ ही उन्होंने आरोप लगाया है कि वित्त आयोग और योजना आयोग के वित्तीय हस्तांतरण भी राज्यों के बीच संतुलन सुनिश्चत करने में असफल रहे. इससे क्षेत्रीय असंतुलन बढ़ा है, जिसका बिहार सबसे बड़ा भुक्तभोगी रहा है.
नीतीश कुमार के लिए अच्छी बात ये है कि बिहार बीजेपी के बड़े नेता और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने स्पेशल स्टेटस के मद्दे पर नीतीश का सपोर्ट किया है.
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एलायंस में रहने की कीमत स्पेशल स्टेटस?
2 पन्ने की चिट्ठी में नीतीश कुमार ने ऐसी कोई नई बात नहीं लिखी है जो केंद्र सरकार को पहले न लिखे हों. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये कि आखिर लोकसभा चुनाव से सालभर पहले एक बार फिर से पुरानी बातों को क्यों दोहराया जा रहा है?.
कहीं ये प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा तो नहीं? जबकि नीतीश कुमार अभी एनडीए में हैं और बीजेपी के साथ मिलकर गठबंधन में वो बिहार में अपनी सरकार चला रहे हैं.
इससे पहले एनडीए में शामिल रही तेलुगु देशम पार्टी ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने के कारण गठबंधन तोड़ लिया था. इससे कम से कम इतना तो तय है कि एलायंस में रहने की कीमत स्पेशल स्टेटस नहीं है.
गठबंधन तोड़ने की धमकी के आगे केंद्र सरकार झुकनेवाली नहीं है. तब सवाल उठता है कि सालभर पुरानी मांग को नीतीश कुमार एक बार फिर क्यों दोहरा रहे हैं.?
गठबंधन से अलग होने की चुनौती
बिहार में चल रहे स्पेशल सियासत पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव नीतीश कुमार पर हमलावर हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि आपने हमारा जनादेश चोरी कर लिया अब हमारी विशेष राज्य की मांग के बहाने बीजेपी पर प्रेशर पॉलिटिक्स करना चाह रहे हैं.
कुछ विकास कीजिएगा या नहीं या हरदम सहयोगियों संग ई ब्लैकमेलिंग वाला खेला ही चलते रहेगा. बाद में उन्होंने कहा कि अगर आप बीजेपी से बिहार को स्पेशल स्टेटस का दर्जा नहीं दिला सकते तो बीजेपी से अलग हो जाइए.
आपने हमारा जनादेश चोरी कर लिया अब हमारी विशेष राज्य की माँग के बहाने बीजेपी पर प्रेशर पॉलिटिक्स करना चाह रहे है।
कुछ विकासवा कीजियेगा या नहीं या हरदम सहयोगियों संग ई ब्लैकमेलिंग वाला खेला ही चलता रहेगा?
आपने विशेष राज्य के मुद्दे पर मेरे पहले वाले पत्र का जवाब आज तक नहीं दिया। https://t.co/dYPWKLcq53
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 29, 2018
Log jaan chuke hain ki Nitish Kumar bhumika bana rahe hain palti maarne ke liye. He’s creating an image that he’s working for Bihar but BJP’s at fault so taking a stand he must exit (from alliance). But all he cares about is vote & how he can continue being the CM: Tejashwi Yadav pic.twitter.com/LULXXHgUTH
— ANI (@ANI) May 29, 2018
पुरानी बातों को दोहराया गया
नीतीश कुमार ने अपनी चिट्ठी को अपने ट्विटर पर अपलोड किया है. इसमें उन्होंने लिखा है कि पिछले 12-13 साल में राज्य सरकार ने पिछड़ेपन को दूर करने और राज्य को विकास, समृद्धि और समरसता के पथ पर ले जाने का काफी प्रयास किया है.
Shri @arunjaitley
Shri @NKSingh_MP https://t.co/ZXJmk84Jl0— Nitish Kumar (@NitishKumar) May 29, 2018
इस दौरान प्रतिकूल और भेदभावपूर्ण परिस्थितियों के बाद भी राज्य ने 2 अंकों के विकास दर हासिल किया है. बाढ़ को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने लिखा है कि नेपाल और दूसरे राज्यों की नदियों से हर साल आनेवाली बाढ़ के कारण भौतिक और सामाजिक आधारभूत संरचना में हुए नुकसान भी भरपाई के लिए बिहार को अतिरिक्त वित्तीय भार उठाना पड़ता है.
यह ऐसे कारण हैं जो बिहार के नियंत्रण में नहीं है. इस वजह से बिहार को हर साल बाढ़ का दंश झेलना पड़ता है. औद्योगिक पिछड़ेपन के बारे में नीतीश कुमार ने लिखा है कि राज्य के बंटवारे के बाद प्रमुख उपलब्धता और लागत-लाभ का फायदा नहीं मिल सका.
इस अवधि में जबकि दक्षिण और पश्चिम भारत के तटीय राज्यों में औद्योगिक विकास हुआ, बिहार पिछड़ेपन का शिकार रहा. इसके अलावा भी नीतीश कुमार ने कई वजह गिनाएं हैं. मगर इसमें कुछ भी नया नहीं है.
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