दिल्ली। पत्थरबाजों पर काबू पाने के लिए श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अब नई तरकीब निकाली है। पत्थरबाजों को पकड़ने के लिए पुलिस भी अब पत्थरबाज बन रही है। असली गुनाहगारों को पकड़ने के लिए पुलिस भी अब पत्थरबाज बन रही है। शुक्रवार के दिन पुलिस ने श्रीनगर के ऐतिहासिक जामा मस्जिद क्षेत्र में पत्थरबाजों के बीच अपने लोगों को भेजने की रणनीति बनाई।
नमाज के बाद पथराव
जुमे के नामाज के बाद भीड़ ने पुलिस और सीआरपीएफ कर्मियों पर पथराव शुरू कर दिया लेकिन दूसरी ओर से कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की गई। कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने न तो आंसूगैस के गोले दागे और न ही लाठीचार्ज किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जब 100 से ज्यादा लोग हो गए और दो पुराने पत्थरबाज भीड़ की अगुवाई करने लगे तब लोगों को तितर बितर करने के लिए पहला आंसू गैसा का गोला दागा गया।
डराने के लिए खिलौनेवाली बंदूक
इस बीच भीड़ में छिपे पुलिसकर्मियों ने इस प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले दो पत्थरबाजों को पकड़ लिया औऱ वे उन्हें वहां खड़े वाहन तक ले गए। उन दोनों को जब थाने ले जाया गया, तब इन पुलिसकर्मियों ने लोगों को डराने के लिए हाथ में खिलौने वाली बंदूक ले रखी थी। इन सब चीजों से न केवल अगुवाई करने वाले पत्थरबाज बल्कि उनका साथ दे रहे लोग भी भौंचक्के रह गए और उन्होंने जल्द ही अपना प्रदर्शन खत्म कर लिया। उन्हें पुलिस की रणनीति का भान ही नहीं था। वर्ष 2010 में भी पुलिस ने यह रणनीति अपनाई थी।