दिल्ली। कर्नाटक में भले ही बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिली हो, लेकिन पार्टी के सीएम उम्मीदवार येदियुरप्पा ने राज्यपाल से मिल सरकार बनाने का दावा पेश किया है। साथ ही मिला है बहुमत साबित करने के लिए 48 घंटे का वक्त।
लेकिन कर्नाटक की जीत में एक बार फिर से पीएम मोदी ने बड़ी भूमिका निभाई है।
अपने चुनावी कैंपेन के जरिए मोदी ने एक बार फिर से पूरी बाजी पलट दी है, जिसे राहुल गांधी समझ नहीं पाए।
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पीएम मोदी ने ‘चाल’ से पलट दी कर्नाटक की बाजी
कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी नेताओं ने कहा था कि उनके पास एक तुरूप का पत्ता था,
एक चुनावी मुद्दा था और वे थे मोदी। कांग्रेस नेता जानते थे कि मोदी की बाकियों से रैलियां अलग थी।
लेकिन उन्हें इस बात पर शक था कि क्या बीजेपी को स्थानीय चुनौतियों से
मुकाबला करने में रैलियां उनकी मदद कर पाएगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जा रहा है कि मोदी की रैलियों से पूर्व कांग्रेस के नेता
110 सीटें मिलने को लेकर आश्वस्त थे। कर्नाटक के नतीजों से यह साफ जाहिर है कि
बीजेपी के तुरुप के पत्ते ने काम किया, जिसके चलते उसे बड़ी पार्टी बनने में मदद मिली है।
आइए जानते हैं कि मोदी ने इसके लिए कौन सी चाल चली है।
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मोदी का ‘चाल’ नंबर- 1
सबसे पहले पीएम मोदी ने अपने चुनावी रैलियों में इजाफा किया।
पहले से कर्नाटक में पीएम की 15 रैलियां निर्धारित थीं।
जब कैंपेन आखिरी दौर में पहुंचा तो उन्होंने अपनी रैलियों की संख्या बढ़ाकर 21 कर दी।
मोदी की रैलियों में भीड़ भी खूब जमा हो रही थी। मोदी की रैलियों की संख्या में
इजाफे ने जीत में मदद की और चुनावी टर्निंग प्वाइंट रहा।
मोदी का ‘चाल’ नंबर- 2
वहीं, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पीएम का रूख वहां रक्षात्मक रहा।
बीजेपी के सीएम उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे
जबकि रेड्डी ब्रदर्स औऱ उनके सहयोगियों को टिकट दिया गया था।
लेकिन मोदी की साफ छवि ने स्थानीय स्तर पर इसी नुकसान को कम किया।
मोदी लगातार इस बात को कहते रहे कि उनकी लड़ाई काला धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ है
और जिसने गरीबों का पैसा लूटा है उन्हें वापस करना होगा।
मोदी का ‘चाल’ नंबर- 3
सिद्धारमैया की इस चुनाव में सबसे अहम चीजें थी कल्याणकारी योजनाएं जो उन्होंने शुरू की थी।
कांग्रेस ऐसा आकलन लगाकर बैठी थी कि इसके चलते गरीब लोग पार्टी के साथ आएंगे।
लेकिन मोदी ने जोरदार तरीके से अपने कल्याणकारी योजनाएं और गरीबों के लिए शुरुआत किए गए
उनके कार्यक्रमों को लोगों को सामने रखा। आज बीजेपी नेताओं के लिए कल्याणकारी योजनाएं सर्वोपरि हो गई हैं।
मोदी का ‘चाल’ नंबर- 4
वहीं, इस चुनाव में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी दुविधा की बात थी दलितों का गुस्सा और अशांति।
दलित अत्याचार रोकथाम कानून पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह चुनाव था,
जिसके चलते भारत बंद बुलाया गया था। कर्नाटक में 16 फीसदी दलितों की आबादी है।
दलितों के कांग्रेस के पक्ष में एकजुट होने से उसकी जीत हो सकती थी।
सिद्धारमैया का ये इंतहान बेहद अहम था, जिसके प्रयास पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को
सामाजिक तौर पर एकजुट कर साथ लाना था। मोदी ने इसे पहचाना।
जिसके बाद सभी बीजेपी नेताओं की राजनीति में दलितों जिक्र खूब होता था।
मोदी का ‘चाल’ नंबर- 5
इस चुनाव में कांग्रेस ने मुस्लिमों के समर्थन के साथ हिंदू की अगड़ी जातियों पर अपना फोकस किया।
बीजेपी को इन चुनौतियों से पार पाने के लिए हिंदू वोटों को ध्रुवीकरण करना था।
ऐसा उसी सूरत में हो सकता था जब कांग्रेस को हिंदू विरोधी दिखाया जाए,
अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण करनेवाले बताया जाए। मोदी ने इस दिशा में अपने प्रचार को रखा।
इस आरोप के बाद उन्होंने कहा कि कैसे कांग्रेस सरकार में बीजेपी कार्यकर्ताओं को मारा गया।
लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
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