दिल्ली। प्रमोशन में रिजर्वेशन देने के आतुर मौजूदा मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कई सवाल खड़े किए हैं. प्रमोशन में आरक्षण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को मिलता है.
सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि अगर एक आदमी रिजर्व कैटेगरी से आता है और राज्य का सचिव है, तो क्या ऐसे में ये लॉजिकल है कि उसके परिजनों को रिजर्वेशन के लिए बैकवर्ड माना जाए? सुनवाई करनेवाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच इस बात का आकलन कर रही है कि क्या क्रीमीलेयर के सिद्धांत को एससी-एसटी के लिए लागू किया जाए, जो फिलहाल सिर्फ ओबीसी के लिए लागू हो रहा है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये भी सवाल पूछा कि मान लिया जाए कि एक जाति 50 सालों से पिछड़ी है और उसके एक वर्ग क्रीमीलेयर में आ चुका है तो ऐसे हालात में क्या किया जाना चाहिए? कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि आरक्षण का पूरा सिद्धांत उन लोगों की मदद के लिए है जो कि सामाजिक रुप से पिछड़े हैं और सक्षम नहीं है. ऐसे में इस पहलू पर विचार करना बेहद जरूरी है.
ऐसे रुका था प्रमोशन में आरक्षण
दरअसल केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा था कि 2006 के नागराज जजमेंट के चलते एससी-एसटी के लिए प्रमोशन में आरक्षण रुक गया है. केंद्र की तरफ से अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि प्रमोशन में आरक्षण देना सही है या गलत इसपर टिप्पणी करना नहीं चाहता. लेकिन तबका एक हजार से अधिक सालों से झेल रहा है. उन्होंने नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ को फैसले की समीक्षा की जरुरत है. मगर इस टिप्पणी से मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है.
‘अलग से डेटा की जरुरत नहीं’
केंद्र सरकार के तर्क से सुप्रीम कोर्ट सहमत नहीं दिखी. चुकि मामला सियासी होता चला जा रहा है, इसलिए मोदी सरकार प्रमोशन में आरक्षण देने की पुरजोर कोशिश कर रही है. लेकिन लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा रुक से मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लग सकता है. सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल के जरिए कहा कि एसटी-एसटी तबके को आज भी प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि 2006 के फैसले पर पुनर्विचार की तत्काल जरुरत है. केंद्र ने कहा कि एससी-एसटी पहले से ही पिछड़े हैं इसलिए प्रमोशन में रिजर्वेशन देने के लिए अलग से किसी डेटा की जरुरत नहीं है. ऑटर्नी जनरल ने कहा कि जब एक बार उन्हें एससी-एसटी के आधार पर नौकरी मिल चुकी है तो प्रमोशन में रिजर्वेशन के लिए अलग से डेटा की क्या जरुरत है? वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2006 के नागराज फैसले के मुताबिक सरकार एसटी-एसटी को प्रमोशन में आरक्षण तभी दी जा सकती है जब डेटा के आधार पर तय हो कि उनका प्रतिनिधित्व कम है और वो प्रशासन की मजबूती के लिए जरुरी है.
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