दिल्ली। हाई प्रोफाइल संत भय्यू जी महाराज ने इंदौर के सिल्वर स्प्रिंग कॉलोनी के घर में खुद को गोली मार ली. भय्यू जी महाराज के लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली चली. बाद में इंदौर के बॉम्बे हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
एक आध्यात्मिक संत का सुसाइड चौंकाता है, उससे कहीं ज्यादा चौंकाता है उनका सुसाइड नोट. अंग्रेजी में लिखे अपने सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा है कि ”कोई मेरे परिवार की जिम्मेदारी उठा ले. मैं जा रहा हूं, बहुत तनाव में हूं. ऊब चुका हूं”.
‘बहुत तनाव में हूं. ऊब चुका हूं’
भैय्यू जी महाराज वैसे तो एक संत थे लेकिन सांसारिक जीवन में भी थे. पहली पत्नी की मौत के बाद पिछले साल 50 साल के भय्यू जी महाराज ने दूसरी शादी की थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भय्यू जी की पत्नी आयुषी जो पेशे से डॉक्टर हैं, उनकी और भय्यू जी की पहली पत्नी की बेटी के बीच संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा है, जिसे भय्यू जी के घर में कलह थी. पुलिस के लिए भय्यू जी का खुदकुशी मामला चुनौती बन गया है.
अभी कुछ ही महीने पहले मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने भय्यू जी महाराज को राज्य मंत्री का दर्जा दिए जाने की पेशकश की थी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था. नर्मदा के मामले पर वो नर्मदा घोटाला रथ निकालनेवाले थे. जिसके बाद उन्हें राज्य सरकार से ऑफर मिला था. अब मध्य प्रदेश कांग्रेस सीबीआई जांच की मांग कर रही है.
भैय्यूजी का राजनीतिक हैसियत
भय्यूजी संत जरुर थे लेकिन नेताओं से नजदीकी किसी से छिपी नहीं थी. भय्यूजी मराठा आध्यात्मिक नेता थे, इसलिए महाराष्ट्र में भी इनके चाहनेलवालों की बड़ी संख्या थी. महाराष्ट्र की सभी पार्टियों में भैय्यूजी को चाहनेवाले लोग मौजूद थे. 2011 में समाजसेवी अन्ना हजारे का अनशन तुड़वाने के लिए तत्कालीन मनमोहन सरकार ने भय्यूजी की मदद ली थी. 2013 में प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने सद्भावना उपवास किया तो उसे तुड़वाने की जिम्मेदारी भी भय्यूजी ने उठाई थी.
2016 में जब गुजरात की तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल पर इस्तीफा का दबाव बढ़ा तो इंदौर में भय्यूजी से मिलने पहुंची थी. आनंदीबेन की इस मुलाकात की काफी चर्चा हुई थी. भैय्यूजी महाराज उद्धव ठाकरे और पंकजा मुंडे के भी बहुत करीबी थे. बताया जाता है कि भय्यूजी महाराज के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मशहूर गायिका लता मंगेश्कर से भी अच्छे संबंध थे.
कौन थे भैय्यूजी महाराज
खुद को आध्यात्मिक गुरु के तौर पर पेश करने से पहले भय्यू जी ने पोस्टर मॉडलिंग भी की थी. संत बनने के बाद भी महंगी घड़ी और गाड़ियों का शौक उन्हें था. भय्यू जी को बहुत कुछ विरासत में मिला था. भय्यू जी नाम अपनाने से पहले उन्हें उदय सिंह देशमुख के नाम से जाना जाता था. उनके पिता महाराष्ट्र कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार थे. इंदौर में भैय्यूजी का बड़ा आश्रम है, वो सफेद मर्सडीज कार से चलते थे. भय्यू जी का ट्रस्ट सदगुरु दत्त धार्मिक ट्रस्ट गरीब बच्चों को स्कॉलरशिप बांटने से लेकर किसानों को खाद और बीज बांटता रहा है.