/मई से नवंबर के बीच पूर्व के स्वीट्जरलैंड की सैर है राइट च्वाइस
पूर्व का स्विट्जरलैंड

मई से नवंबर के बीच पूर्व के स्वीट्जरलैंड की सैर है राइट च्वाइस

पूर्व का स्विट्जरलैंड 

अगर आप दिल्ली में हैं, कोलकाता में या देश के किसी भी कोने में…छुट्टियां बिताने के लिए आपकी तलाश अगर एक बेहतर डेस्टिनेशन की है…जो शांत हो, खूबसूरत, पॉकेट फ्रेंडली भी हो तो पूर्व का स्विट्जरलैंड आपके लिए मुफीद होगा।

पूर्व का स्विट्जरलैंड

भारत के पूर्वोत्तर में बसा सेवन सिस्टर्स के रुप में प्रसिद्ध राज्यों में से एक, छोटा सा सुरक्षित स्वर्ग है सिक्किम। अपने नेचुरल स्टिंक्ट यानी हरे-भरे पौधों, जंगलों, घाटियों और पर्वतमालाओं से भरे सिक्किम की भव्य सांस्कृतिक धरोहरें आपको वहां बरबस ही खींच लेंगी।

प्रकृति की गोद में बसे सिक्किम को और भी आकर्षक बनाते हैं यहां के शांति पसंद और व्यवहारकुशल लोग। खूबसूरती ऐसी कि इसे पूर्व का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है।

सिक्किम दक्षिण में पश्चिम बंगाल से घिरा है और इसके दक्षिण पूर्व में भूटान, पश्चिम में नेपाल और उत्तरपूर्वी छोर पर चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र हैं। यहां की नैसर्गिक छटाएं इसे जीवंत बनाती हैं…

सुंदर पहाड़ों, गहरी घाटियों और यहां की जैव विविधता पर्यटकों के लिए ऑल इन वन डेस्टिनेशन की तरह है।

पूर्व का स्विट्जरलैंड

कैसे पहुंचें सिक्किम?

वैसे तो सिक्किम का एयरपोर्ट गंगटोक में है लेकिन ये अभी तक शुरू नहीं हो सका है। सबसे पास का एयरपोर्ट पश्चिम बंगाल में बागडोगरा (सिलिगुड़ी के पास) है। जो सिक्किम की राजधानी गंगटोक से करीब 125 किलोमीटर दूर स्थित है।

बागडोगरा दिल्ली और कोलकाता की नियमित उड़ानों से जुड़ा हुआ है। बागडोगरा से गंगटोक के लिये हैलीकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध है। एयरपोर्ट के बाहर से आपको आराम से टैक्सी मिल जाएगी जिसमें गंगटोक तक का किराया 1500 से 2000 तक है। बस आपकी च्वाइस सिक्किम नंबर की गाड़ी होनी चाहिए ताकि आपको गंगटोक में बेरोक-टोक प्रवेश मिल जाए।

सिक्किम पहुंचने के लिेए आप सड़क मार्ग भी चुन सकते हैं। हिमालय के निचले हिस्से में होने के बावजूद भी यहां की सड़के बेहतरीन हैं। आप पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से से होते हुए भी सिक्किम पहुंच सकते हैं।

गंगटोक, दार्जिलिंग, कलिमपोंग और सिलिगुड़ी जैसे शहरों से सीधा जुड़ा है लेकिन मॉनसून में सड़क मार्ग थोड़ा रिस्की होता है क्योंकि भू-स्खलन की वजह से मार्ग बाधित हो जाता है।

सिक्किम में रेल नेटवर्क नहीं है। ऐसे में सबसे पास का रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल में न्यू जलपाईगुड़ी (सिलिगुड़ी के पास) है, जो गंगटोक समेत पूर्वोत्तर के कई बड़े शहरों से जुड़ा है। रेलवे स्टेशन के बाहर आपको गंगटोक के लिये बहुत सारी टैक्सियां मिल जाएंगी।

इनर लाइन परमिट कैसे प्राप्त करें?

सिक्किम में बॉर्डर के आसपास की ज्यादातर जगहों पर घूमने के लिये इनर लाइन परमिट ( inner line permit) जरूरी हैं। ये एक सरकारी एंट्री का पर्चा है जिसमें आपके पासपोर्ट (passport) या फिर पहचान पत्र (voter id card ) की डिटेल के अलावा आपके घूमने की तारीख और अवधि अंकित होती है।

इस परमिट को लेने के लिये आपको कागजी कार्यवाही पूरी करनी होगी जिसमें एक दिन का वक्त लगता है। आपको इसके लिे एक फॉर्म भरना होगा और दो पासपोर्ट फोटो देने होंगे।

सिक्किम में घूमने लायक जगहें


माउंट कंचनजंघा की निचली पहाड़ियों में अवस्थित है सिक्किम राज्य। अद्भुत सुंदरता से परिपूर्ण। ऊंचे-ऊंचे पहाड़ सिक्किम के आसमान पर राज करते हैं। बर्फ से ढंकी चोटियों, हरे पन्ने जैसी ढालों, तेज जलधाराओं, ऊंचे रोडोडेंड्रन्स, चमकते ऑर्किड्स और पहाड़ी हवाओं के साथ चोटियों पर बने मठों के बहुरंगी झंडे पर्यटकों को बरबस ही आकर्षित करते हैं।

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1. गंगटोक

सिक्किम का सबसे बड़ा शहर और वहां की राजधानी है गंगटोक (स्थानीय नाम- गांतोक)। ये शिवालिक की पहाड़ियों पर 5410 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। कंचनजंघा, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा पर्वत है, उसे गंगटोक से देखा जा सकता है।

यहां पर कई मंजिला ईमारतों और नगर व्यवस्था को देखकर सहज विश्वास नहीं होता कि ये एक पहाड़ी नगर है। शहर में पैदल चलने वालो के लिए सड़क किनारे लोहे की जाली लगा एक पैदलमार्ग का निर्माण किया गया है।

शहर की पुलिस व्यवस्था, सड़क यातायात दुरुस्त है और यहां नियम-कानून सख्ती से पालन किये जाते हैं। मुख्य पर्यटक स्थल होने के कारण यहां छोटे-बड़े होटलों की भरमार है, लेकिन शहर के बीचोबीच एमजी मार्ग यानी महात्मा गांधी मार्ग और लाल बाजार के पास अच्छे और सस्ते होटल मिल जाते हैं।

शहर में पारंपरिक रीति-रिवाजों और आधुनिक जीवनशैली का अनूठा संगम देखने को मिलता है। ये एक खूबसूरत शहर है जहां जरूरत की हर आधुनिक सुविधा मौजूद है। गंगटोक में घूमने लायक और भी कई जगहें हैं। ताशी न्यू प्वाइंट यहां से लगभग आठ किलोमीटर दूर है, जहां से पूरे गंगटोक का खूबसूरत नजारा दिखता है।

इसके अलावा सात किलोमीटर की दूरी पर गणेश जी का मंदिर है जिसे ‘गणेश टोक’ कहते हैं। यहां से करीब तीन किलोमीटर दूर हनुमान जी का भी एक खूबसूरत मंदिर है।

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2. युक्सोम

ये सिक्किम की पहली राजधानी थी। इतिहास के पन्नों में सिक्किम के पहले श्रेष्ठ शासक ने 1641 में तीन विद्वान लामाओं से इस शहर का शुद्धिकरण कराया था। नोर्बुगांगा कोर्टेन में उस शुद्धिकरण समारोह के अवशेष आज भी मौजूद हैं।

इस जगह को पवित्र स्थान समझा जाता है, क्योंकि सिक्किम का इतिहास ही इससे शुरू होता है। यह प्रसिद्ध माउंट कंचनजंघा की चढ़ाई के लिए बेस कैम्प भी है।

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3. सोम्गो लेक

ये झील एक किलोमीटर लंबी और अंडाकार है। स्थानीय लोग इसे बेहद पवित्र मानते हैं। मई और अगस्त के बीच झील का ये इलाका बेहद खूबसूरत हो जाता है। दुर्लभ किस्मों के फूल यहां देखे जा सकते हैं।

इनमें बसंती गुलाब, आइरिस और नीले-पीले पोस्त शामिल हैं। झील में जलीय जीवों और पक्षियों की कई प्रजातियां मिलती हैं। लाल पांडा के लिए भी ये काफी मुफीद जगह है। सर्दियों में इस झील का पानी जम जाता है।

4. नाथुला दर्रा

14,200 फीट की ऊंचाई पर, नाथु-ला दर्रा भारत-चीन सीमा पर स्थित है। सिक्किम को चीन के तिब्बत स्वशासी क्षेत्र से जोड़ता है। ये यात्रा अपने आप में आनंद देने वाला अनुभव है।

धुंध से ढंकी पहाड़ियां, टेढ़े-मेढ़े रास्ते और गरजते झरने से होकर जाता ये रास्ता अद्भुत है। यहां जाने के लिए पर्यटकों के पास परमिट होना चाहिए। परमिट के साथ केवल भारतीयों को बुधवार, गुरुवार, शनिवार और रविवार को दर्रा घूमने दिया जाता है।

यहां आप निजी वाहन लेकर नहीं जा सकते। टैक्सी में शेयरिंग के लिए प्रति यात्री 800 रुपये का किराया है जबकि पूरी टैक्सी बुक करने के लिए आपको खर्च करने पड़ेंगे साढ़े 5 से लेकर 6 हजार रुपये तक।

5. गुरुडोंगमार झील

सिक्किम के लाचेन में लगभग 5430 मीटर की उंचाई पर स्थित है गुरुडोंगमार झील। यह झील कंचनजंगा पर्वतमाला के उत्तर पूर्व में स्थित है। ये चीन की सीमा से केवल 5 किलोमीटर की दूरी पर है।

ठंड के मौसम में नवंबर से मई तक ये झील पूरी तरीके से जमा रहता है। इस झील से एक प्रवाह निकलती है जो त्शो लामो झील को इस झील से जोड़ती है और फिर यहां से तिस्ता नदी का उद्गम होता है। इस जगह जाने के लिए पर्यटकों के पास परमिट होना चाहिए।

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6. पेलिंग

पेलिंग तेजी से लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनता जा रहा है। 6,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित इसी जगह से दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी माउंट कंचनजंघा को सबसे करीब से देखा जा सकता है। ये स्थान खूबसूरत तो है ही, पेलिंग के अन्य आकर्षण हैं सांगा चोइलिंग मॉनिस्ट्री, पेमायंगत्से मॉनिस्ट्री और खेचियोपालरी लेक।

7. रूमटेक मोनास्ट्री

यह भव्य मठ सिक्किम के शीर्ष पर्यटन केंद्रों में से एक है। इसी जगह पर 16वें ग्यालवा कर्मापा का घर है। मठ में असाधारण कलाकारी दिखती है। गोल्डन स्तूप इस मठ का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।

8. डो-द्रुल कॉर्टेन

यह सिक्किम के सबसे खूबसूरत स्तूपों में से एक है। 1945 में तिब्बती बौद्ध के निंगमा ऑर्डर के प्रमुख ने इसे बनवाया था। यहां 108 प्रार्थना चक्के लगे हैं। इसमें कई मांडला सेट्स हैं, अवशेषों का एक सेट और कुछ अन्य धार्मिक सामग्रियां भी हैं। गुरुओं की प्रतिमाएं भी यहां हैं।

9. जवाहर लाल नेहरू बॉटनिकल गार्डेन

1987 में बना जवाहरलाल नेहरू बॉटनिकल गार्डेन रुमटेक मठ के पास स्थित है। इस जगह की देखरेख सिक्किम सरकार का वन विभाग करता है। उद्यान की खासियत है ओक और अलग-अलग तरह के पेड़ और ऑर्किड्स के जंगल।

10. सिक्किम रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ तिब्बतोलॉजी

यह भवन तिब्बती वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो ओक और सनौबर के छोटे जंगल से घिरा हुआ है। राष्ट्रीय स्तर पर ये तिब्बती अध्ययन और अनुसंधान केंद्र के तौर पर जाना जाता है।

ये संस्थान दुर्लभ पांडुलिपियों, बौद्ध धर्म से जुड़ी पुस्तकों और संकेतों के व्यापक संग्रह के तौर पर प्रसिद्ध है। इस संस्थान में कला से जुड़ी धार्मिक कलाकृतियां और रेशम से एम्ब्रॉयडरी वाली अद्भुत पेंटिंग्स भी हैं।

साभार- मोहित