एक बार फिर से भारत की राजनीति में आर्टिकल 35-A पर कोहराम मचा है। ऐसे में उसके बारे में यह जानना जरूरी है कि आखिर क्या है इसमें, जिसकी वजह से सियासी गलियारे में घमासान मचा है। आर्टिकल 35-A जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को विशेष अधिकार प्रदान करता है।
अभी ये मामला कोर्ट में चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाली अनुच्छेद 35-A में बदलाव की मांग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई 27 अगस्त तक टाल दी है।
35-A पर कोहराम
दरअसल जम्मू-कश्मीर के सियासी दल 35-A में इसमें बदलाव नहीं चाहते हैं। इसके विरोध में वहां के राजनीतिक दल सड़कों पर उतर आए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि आज लोग पार्टी लाइन और दूसरे संबंधों को छोड़ते हुए आर्टिकल 35-A को कमजोर किए जाने के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। उन्होंने कहा कि इससे छेड़छाड़ करने पर पूरे देश के लिए खतरनाक परिणाम होंगे।
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क्या है आर्टिकल 35-A
वैसे ये जानना भी जरूरी है कि इस आर्टिकल में खास क्या है। दरअसल, 35-A भारतीय संविधान का वह अनुच्छेद है जो जम्मू-कश्मीर विधानसभा को लेकर प्रावधान करता है। यह राज्य को यह तय करने की शक्ति देता है कि जम्मू का स्थायी नागरिक कौन है? वैसे 1956 में बने जम्मू-कश्मीर के संविधान में स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया था।
यह आर्टिकल जम्मू-कश्मीर में ऐसे लोगों को कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने या उसका मालिक बनने से रोकता है जो वहां के स्थायी नागरिक नहीं है। आर्टिकल 35-A जम्मू-कश्मीर के अस्थायी नागरिकों को वहां सरकारी नौकरियों और सरकारी सहायता से भी वंचित करता है।
अनुच्छेद 35-A के मुताबिक अगर जम्मू-कश्मीर की कोई लड़की राज्य के बाहर के किसी लड़के से शादी कर लेती है तो उसके जम्मू की प्रॉपर्टी से जुड़े सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं। साथ ही जम्मू-कश्मीर की प्रॉपर्टी से जुड़े उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं।
जम्मू-कश्मीर की नागरिकता
जम्मू-कश्मीर के संविधान के मुताबिक, वहां का स्थायी नागरिक वो है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 सालों से राज्य में रह रहा हो और उसने वहां संपत्ति हासिल की हो। हरि सिंह के जारी किए नोटिस के अनुसार जम्मू-कश्मीर का स्थायी नागरिक वो है जो जम्मू-कश्मीर में 1911 या उससे पहले पैदा हुआ और रहा हो। या जिन्होंने कानूनी तौर पर राज्य में प्रॉपर्टी खरीद रखी है। जम्मू कश्मीर का गैर स्थायी नागरिक लोकसभा चुनावों में वोट दे सकता है, लेकिन वो राज्य के स्थानीय निकाय यानी पंचायत चुनावों में वोट नहीं दे सकता।
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वहीं, साल 2014 में एक एनजीओ ने अर्जी दाखिल कर इसे खत्म करने की मांग की। 35-A पर कोहराम को देखते हुए वी द सीटिजन्स नाम के एनजीओ ने आर्टिकल 35-A को चुनौती दी है। एनजीओ का आरोप है कि दूसरी चीजों के साथ ही यह आर्टिकल भारत की एकता की भावना के खिलाफ है। और यह भारतीय नागरिकों की श्रेणी के अंदर ही एक श्रेणी बना देता है। साथ ही दूसरे राज्यों से आने वाले भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में प्रॉपर्टी खरीदने और रोजगार पाने से रोकता है। यह मौलिक अधिकारों का हनन करता है।