दिल्ली। हिन्दुस्तान में शायद ही कोई सोचा होगा कि ‘उड़न परी’ और ‘फ्लाइंग सिख’ का रिकॉर्ड कोई तोड़ेगा. मगर टूट गया. नया इतिहास बन गया. जश्न मनाया जा रहा है. गर्व महसूस हो रहा है. लोग ‘नई उड़न परी’ को खोज रहे हैं. दाद दे रहे हैं. तारीफ कर रहे हैं. एक-दूसरे से चर्चा कर रहे हैं.
उसके बारे में जानना चाह रहे हैं. आखिर ये हिमा दास कौन है? कहां से आई है? क्या करती है? किसने इसको ट्रेंड किया? इसके माता-पिता क्या करते हैं? किस राज्य की रहनेवाली है? जितना आप सोच सकते हैं उतना सवाल.
हिमा दास की कामयाबी
18 साल की एथलीट हिमा दास ने फिनलैंड के टैम्पेयर शहर में आयोजित IAAF वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर की दौड़ में गोल्ड मेडल जीता. इस दौड़ को पूरा करने में उन्हें 51.46 सेकेंड लगे. हिमा विश्व स्तर पर ट्रैक कॉम्पीटिशन में गोल्ड मेडल जीतनेवाली पहली भारतीय खिलाड़ी है. इससे पहले भारत के किसी महिला या पुरुष खिलाड़ी ने जूनियर या सीनियर, किसी भी स्तर पर विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल नहीं जीता है. और तो और फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह और पीटी उषा ने भी ये कमाल नहीं किया था. इस लिहाज से अंतर्राष्ट्रीय ट्रैक पर भारत की ये ऐतिहासिक जीत है. हिमा ने सेमीफाइनल में भी शानदार प्रदर्शन किया था. उन्होंने सेमीफाइनल में 52.10 सेकेंड में दौड़ पूरी कर पहला स्थान हासिल किया था.
कौन हैं हिमा दास…
- असम के नगांव जिले के धिंग गांव की रहनेवाली हैं हिमा दास
- हिमा दास की उम्र अभी सिर्फ 18 साल है
- एक साधारण किसान परिवार से आती है हिमा दास
- अपने 6 भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं हिमा दास
- हिमा पहले लड़कों के साथ फुटबॉल खेला करती थीं
- एक स्ट्राइकर के तौर पर हिमा पहचान बनाना चाहती थीं
- 2 साल से पहले ही हिमा ने रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा था
- पैसों की कमी थी तो कोच ने उनकी काफी मदद की
हिमा के कोच निपोन दास ने कहा कि एथलीट बनने के लिए हिमा ने काफी मेहनत की. अपना परिवार छोड़कर करीब 140 किलोमीटर दूर आकर रहने का फैसला किया. देश का नाम ऊंचा करनेवाली हिमा दास को ढेरों शुभकामनाएं.
Kolkata Police joins the rest of the country in congratulating Hima Das, the 18 year old sprinter who created history by winning the gold in the 400 metres sprint yesterday in the U-20 World Athletics Championships in Finland. India’s first ever track gold in world championships. pic.twitter.com/G8MqIIDxsu
— Kolkata Police (@KolkataPolice) July 13, 2018
गोल्ड मेडल से ज्यादा जरूरी अंग्रेजी सीखना?
मगर भारतीय अफसरों को उसकी अंग्रेजी की पड़ी है. उन्हें गोल्ड मेडल नहीं, फर्राटेदार अंग्रजीवाली एथलीट चाहिए था. मगर हिमा ने तो बाजार लूट लिया, अब क्या कर सकते हैं. उसकी खराब अंग्रेजी पूरी दुनिया सुन रही है. एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के बाबूओं को भी वहीं खराब अंग्रेजी किस्मत में है. सुनते रहिए. आप भी सुन लीजिए गोल्ड मेडलिस्ट की अंग्रेजी कैसी है. ये आपको तय करना है कि गोल्ड मेडलिस्ट हिमा दास चाहिए या अच्छी अंग्रेजी वाली एथलीट.
#HimaDas speking to media after her SF win at #iaaftampere2018 @iaaforg Not so fluent in English but she gave her best there too. So proud of u #HimaDas Keep rocking & yeah,try ur best in final! @ioaindia @IndianOlympians @TejaswinShankar @PTI_News @StarSportsIndia @hotstartweets pic.twitter.com/N3PdEamJen
— Athletics Federation of India (@afiindia) July 12, 2018
स्पेलिंग में मात खा गए फेडरेशन के बाबू
दरअसल हिमा की जीत पर एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की तरफ से ट्वीट कर बधाई दी गई. इसमें लिखा गया है कि सेमीफाइनल में जीत दर्ज करने के बाद हिमा दास ने मीडिया से बातचीत की. अंग्रेजी अच्छी नहीं है. फिर भी अपना बेस्ट दिया. फाइनल में और ज्यादा अच्छा करने की कोशिश करना. इसका मतलब ये हुआ कि गोल्ड मेडल जीतने की शर्त अच्छी अंग्रेजी बोलना भी है. इसे तंज के तौर पर देखा गया. हिमा को अंग्रेजी का पाठ पढ़ानेवाले फेडरेशन के अधिकारियों को खुद अंग्रेजी की क्लास लेने की जरूरत है. इस ट्वीट में एक जगह स्पीकिंग शब्द का इस्तेमाल किया गया है, जिसकी स्पेलिंग ‘speking’ लिखी गई है. बाद में खुद की फजीहत होता देख फेडरेशन ने अपने इस ट्वीट के लिए माफी मांगी.