/चीन, कोरिया और सिंगापुर छोड़ भारत संग ही क्यों आया सैमसंग? जानें क्या है ख़ास
भारत संग सैमसंग

चीन, कोरिया और सिंगापुर छोड़ भारत संग ही क्यों आया सैमसंग? जानें क्या है ख़ास

भारत संग सैमसंग

भारत संग सैमसंग के आने का इरादा बेवजह नहीं। ये डबल बोनांजा है, परस्पर फायदे का और यही वजह भी रही इस नई शुरुआत की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन के साथ दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फैक्ट्री का उद्घाटन किया।

भारत संग सैमसंग

पीएम के उद्घाटन करने के बाद कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में दुनिया के मैप पर सबसे बड़ी मोबाइल फैक्ट्री होने का टैग नोएडा के साथ जुड़ गया है। ये मुकाम न तो चीन को हासिल हुआ, न कोरिया को और न ही सिंगापुर या अमेरिका को। आइये जानते हैं इस फैक्ट्री से जुड़ी कुछ ख़ास बातों को…

  • नोएडा सेक्टर 81 स्थित सैमसंग की ये मोबाइल फैक्ट्री तकरीबन 35 एकड़ में फैली है।
  • मौजूदा मोबाइल फैक्ट्री साल 2005 में लगाई गई थी जबकि इसका पहला केंद्र 1990 के दशक में शुरू हुआ जब वहां 1997 में टीवी बनना शुरू हुआ था।
  • साल 2017 के जून में कंपनी ने नोएडा प्लांट के विस्तार का ऐलान किया और इसमें 4 हजार 915 करोड़ का निवेश किया गया।
  • प्लांट में बड़े पैमाने पर निवेश के जरिए दक्षिण कोरियाई कंपनी ने एक साल में उत्पादन को डबल कर दिया।
  • सैमसंग की नई फैक्ट्री के चालू होने से अब 6.7 करोड़ की जगह सालाना 12 करोड़ मोबाइल फोन की मैन्यूफैक्चरिंग होगी।
  • नई फैक्ट्री के जरिए न सिर्फ मोबाइल बल्कि सैमसंग के कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स का उत्पादन भी दोगुना हो जाएगा।
  • देश में नोएडा की इस फैक्ट्री के अलावे कंपनी की एक फैक्ट्री तमिलनाडु के श्रीपेरुंबदूर में भी है। साथ ही पांच आर एंड डी यूनिट और एक डिजाइन सेंटर भी है जिनमें तकरीबन 70 हजार लोग काम करते हैं।
  • सैमसंग ने इस दौरान अपना रिटेल नेटवर्क भी काफी बढ़ाया है। कंपनी ने देश भर में डेढ़ लाख रिटेल आउटलेट खोले हैं।

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सैमसंग की च्वाइस भारत ही क्यों?

चीन के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा स्मार्ट फोन मार्केट है। ऐसे में कंपनी को लगता है कि यहां उसके मोबाइल की खपत सबसे ज्यादा है। इतना ही नहीं सैमसंग यहां उत्पादन कर यूरोप, पश्चिम एशिया और अफ्रीकी बाजार में आसानी से अपने प्रोडक्ट एक्सपोर्ट कर सकती है।

दूसरी बड़ी वजह है यहां की सस्ती स्किल्ड मैन यूनिट। जाहिर है यहां प्रोडक्शन कर कंपनी का इफेक्टिव कॉस्ट दूसरे देशों की तुलना में काफी कम होगा….ऐसे में कंपनी का मुनाफा बढ़ेगा। इसके अलावा कंपनी यहां की फैक्ट्री से उसी लागत पर टीवी, रेफ्रिजरेटर का प्रोडक्शन भी डबल कर सकेगी।

तीसरी बड़ी और अहम वजह है यहां की सरल कानूनी प्रक्रियाएं। दूसरे देशों में इन कंपनियों को कई तरह की कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। दूसरे देशों में टैक्स भी ज्यादा हैं।

भारत संग सैमसंग

देश को कितना फायदा?

हालांकि ऐसा नहीं है कि फायदा सिर्फ कंपनी का है। परस्पर फायदा भारत का भी है। रोजगार के लिहाज से ये फैक्ट्री देश के लिए काफी मददगार साबित होगी। सिर्फ नोएडा की फैक्ट्री में 70 हजार नए लोगों को जॉब मिल सकेगा। इसके साथ ही दक्षिण कोरिया की उन्नत तकनीक और यहां के कुशल मानव संसाधन की मदद से लागत में कमी आएगी और घरेलू मार्केट का फायदा ग्राहकों तक पहुंचेगा।


कुल मिलाकर दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मैन्यूफैक्चरिंग हब के तौर पर विकसित होते भारत में पूंजी की मौजूदगी बढ़ेगी और ये सब मिलकर नया भारत बनाने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं।