पटना। बिहार में कांग्रेस अपनी नई सियासी जमीन तलाश रही है। हाल ही में कांग्रेस ने मदन मोहन झा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। मदन मोहन झा सवर्ण जाति से आते हैं। उससे पहले पार्टी ने राज्यसभा चुनाव के दौरान भी अखिलेश सिंह को उम्मीदवार बनाया था। अखिलेश सिंह भी अगड़ी जाति से ही आते हैं। ऐसे में बिहार की राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि कांग्रेस सवर्ण वोटरों के पास वापस लौट रही है। इसके लिए पोस्टर लगा कर बताई जाति. लेकिन इस दिशा में कांग्रेस नेताओं ने एक कदम आगे और बढ़ा दिया है, जिसकी वजह से पार्टी की किरकिरी हो रही है।
पोस्टर लगा कर बताई जाति
कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पटना की सड़कों पर कई जगह बैनर-पोस्टर लगवाए हैं। इस बैनर में बिहार कांग्रेस के नेताओं समेत कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की जाति लिखी गई है। जिसमें बताया गया है कि कौन सा नेता किस जाति का है। इसी कड़ी में कांग्रेस ने पोस्टर लगा कर बताई जाति. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को ब्राह्मण समुदाय से बताया गया है। वहीं, बिहार के अध्यक्ष मदन मोहन झा की तस्वीर के आगे भी लिखा गया है कि वे ब्राह्मण समुदाय से हैं।
ये भी पढ़ें: बिहार के किसी ब्राह्मण नेता को 26 साल बाद कांग्रेस ने बनाया प्रदेश अध्यक्ष, आखिर क्यों?
राहुल की तस्वीर पर लिखा ब्राह्मण
दरअसल, ये पोस्टर इसलिए लगाया गया है कि कांग्रेस ने नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने प्रदेश कमेटी का गठन किया है। उस कमेटी में जिन नेताओं को शामिल किया गया है, उनकी जाति इस बैनर में लिखा गया है। पार्टी नेताओं की इस कदम का सोशल मीडिया पर आलोचना होने लगी है। इस बैनर में नजर आ रहे पार्टी के राज्यसभा सांसद अखिलेश कुमार सिंह को लिखा गया है कि वे भूमिहार समुदाय से हैं। वहीं, पूर्व कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष कौकब कादरी के बारे में लिखा गया है कि वे मुस्लिम समुदाय से आते हैं। कांग्रेस नेताओं को लगता है कि पोस्टर लगा कर बताई जाति बताने से उनके पारंपरिक वोटर उनके पासे लौटेंगे. वहीं, बिहार कांग्रेस कार्य समिति में सामाजिक समरसता की मिसाल कायम करने पर राहुल गांधी और बिहार के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल का आभार जताया गया है।
जातिवादी राजनीति की आलोचना
गौरतलब है कि कांग्रेस की इस जातिवादी राजनीति की खूब आलोचना हो रही है। बिहार कांग्रेस ने लोगों को पोस्टर लगा कर बताई जाति. ये शायद पहला मौका होगा जब किसी पार्टी ने पोस्टर के जरिए नेताओं की जाति बताई है. दरअसल, कहा जा रहा है कि बीजेपी से जो सवर्णों की नाराजगी बढ़ी है, उसी का फायदा कांग्रेस उठाना जाती है। और सवर्ण जातियों से अपनी नजदीकियां बढ़ाने में लगी है। इस बैनर में अगड़ी जाति के नेताओं को ही अगली पंक्ति में जगह दी गई है। दूसरे जाति के लोगों को दूसरी पंक्ति में रखा गया है।