/प्रणब दा के भाषण से बीजेपी और कांग्रस दोनों खुश है? जानिए, दोनों दलों के दिग्गजों की प्रतिक्रिया
प्रणब दा के भाषण से बीजेपी और कांग्रस दोनों खुश है? जानिए

प्रणब दा के भाषण से बीजेपी और कांग्रस दोनों खुश है? जानिए, दोनों दलों के दिग्गजों की प्रतिक्रिया

प्रणब दा के भाषण से बीजेपी और कांग्रस दोनों खुश है? जानिए

दिल्ली। देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय में थे। यहां वे आरएसएस के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह को संबोधित किया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता औऱ पूर्व राष्ट्रपति के संघ मुख्यालय में दिए भाषण को कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों एक दूसरे के लिए नसीहत बता रही हैं।

कांग्रेस

कांग्रेस प्रवक्त रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने मोदी सरकार को राजधर्म की याद दिलाई। उन्होंने आरएसएस हेडक्वाटर में इस देश की खूबसूरती को बताया। प्रणब मुखर्जी ने पीएम मोदी को बताया कि राष्ट्रवाद क्या है।

आरएसएस को सच्चाई का आईना दिखाने का ये प्रयास था। हेडगेवार को भारत मां का सपूत बताने पर सूरजेवाला ने कहा कि मेहमान के तौर पर प्रणब मुखर्जी ने जो बातें कहीं है उनपर चर्चा होनी चाहिए अनावश्यक औपचारिकताओं पर नहीं।

वहीं, कांग्रेस के पवन खेड़ा ने कहा कि आरएसएस और समझने में अरसा लग जाएगा कि आज प्रणब मुखर्जी साहब ने उन्हें आईना दिखाया। उस आईना में उन्हें अपना विभत्स चेहरा दिखाई देगा। संघ के कोने में पाश्चाताप होगा कि हमने प्रणब मुखर्जी को क्यों बुलाया। प्रणब ने मुगलों का नाम लिया, अशोक का नाम लिया।

कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने जो भाषण दिया वो कांग्रेस की विचारधारा वहां रखा है। उन्होंने कहा कि देश में जो डर पैदा हो रहा है वो नहीं होना चाहिए। शायद इससे बड़ी बात आरएसएस के कार्यक्रम में नहीं कही जा सकती।

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जेडीयू

वहीं, जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि प्रणब मुखर्जी पूरे राष्ट्र के हैं। प्रणब मुखर्जी ने संवाद की परंपरा को कायम रखा। उन्होंने राजा को सबक भी दिया। भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि प्रणब जी ने अपने भाषण की शुरुआत ही भारत को पहला राष्ट्र बताते हुए की। यही तो हमारा विचार है।

सीपीएम

आरएसएस के मंच पर प्रणब दा के भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए माकपा ने कहा कि अगर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संघ को उसका इतिहास याद दिलाते, तो अच्छा होता। इस दौरान भाकपा ने बहुलतावादी और समग्र समाज को असल भारत के रूप में करने लिए उनके भाषण की सराहना की।

सीताराम येचुरी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या का अपने भाषण के दौरान जिक्र नहीं करने के लिए उनसे सवाल किया है। येचुरी ने पूछा है कि मुखर्जी को आरएसएस को उसका इतिहास याद दिलाना चाहिए था।