दिल्ली। आरएसएस के दीक्षांत समारोह में शिरकरत करने के लिए नागपुर पहुंचे पूर्व प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया। प्रणब मुखर्जी ने जैसे ही संघ कार्यक्रम में जाने का न्यौता स्वीकार किया था, उसके बाद से ही पूरे देश की नजर उन पर थी कि वहां जाकर प्रणब मुखर्जी बोलेंगे क्या। उन्होंने अपने भाषण के दौरान स्वंयसेवकों को राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशप्रेम के बारे में अपना विचार साझा किया।
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प्रणब दा के भाषण की दस बड़ी बातें…
- संघ मुख्यालय में पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा राष्ट्रवाद वसुधैव कुटुम्बकम् और सर्वे भवन्तु सुखिन जैसे विचारों पर आधारित है।
- प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमारे राष्ट्रवाद में विभन्न विचारों का सम्मिलन हुआ है।
- उन्होंने कहा कि घृणा और असहिष्णुता से हमारी राष्ट्रीयता कमजोर होती है। मुखर्जी ने यह भी कहा कि राष्ट्र की अवधारणा को लेकर सुरेंद्र नाथ बनर्जी और बालगंगाधर तिलक के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा राष्ट्रवाद किसी क्षेत्र, भाषा या धर्म विशेष के साथ बंधा हुआ नहीं है।
- पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमारे लिए लोकतंत्र सबसे महत्वपूर्ण मार्गदर्शक है।
- प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमारे राष्ट्रवाद का प्रवाह संविधान से होता है। उन्होंने कौटिल्य के अर्थशास्त्र का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने ही लोगों की प्रसन्नता एवं खुशहाली को राजा की खुशहाली माना था।
- पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने सार्वजनिक विमर्श को हिंसा से मुक्त करना होगा।
- इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हमें शांति, सौहार्द और प्रसन्नता की ओर बढ़ना होगा।
- मुखर्जी ने कहा कि हमारे राष्ट्र को धर्म, हठधर्मिता या असहिष्णुता के माध्यम से परिभाषित करने का कोई भी प्रयास केवल हमारे आस्तित्व को ही कमजोर करेगा।
- इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रवाद में विभिन्न विचारों का सम्मिलन हुआ है। भारतीय राष्ट्रवाद, वैश्विकता, समावेश और सह अस्तित्व से उपजा है।
- प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत की आत्मा ‘बहुलतावाद और सहिष्णुता’ में बसती हैं।
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