दिल्ली। पश्चिमी यूपी के कैराना लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी की हार और विपक्ष की जीत के तमाम चर्चाएं हो रही हैं। तमाम राजनीतिक समीक्षाओं में कैराना उपचुनाव में आरएलडी और विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार तबस्सुम की जीत के पीछे आरएलडी नेता जयंत चौधरी की भूमिका अहम बताई जा रही है। मगर एक SMS ने पलट दी कैराना की बाजी।
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एक SMS ने पलट दी कैराना की बाजी
मगर जिस वक्त कैराना और नूरपुर के उपचुनाव को लेकर विरोधी दलों में गठबंधन की आस टूट चुकी थी, तब आरएलडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी का सपा मुखिया अखिलेश यादव को भेजा गया एक छोटा सा मैसेज बीजेपी की हार की नींव पर पत्थर बन गया। एक छोटे से मैसेज ने कैराना उपचुनाव की पूरी कहानी बदलकर रख दी।
आरएलडी नेता जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को एक साधारण सा संदेश भेजा था जिससे न केवल दोनों पार्टियां करीब आईं बल्कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मजबूत विपक्ष की एक रूपरेखा भी तैयार हो गई। साथ ही उन्होंने अपनी बात सपा प्रमुख अखिलेश यादव तक पहुंचाने में कामयाब भी रहे।
3 घंटे की मीटिंग में बना 2019 का प्लान
आरलेजडी ने जीत के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा था कि मैंने उन्हें एक टेक्सट मैसेज भेजा, एक घंटे के भीतर उन्होंने मुझे कॉल किया और लखनऊ में बैठक भी तय कर दी।
दरअसल, अपने कंधों पर मजबूत राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की चुनौती के लिए दो युवा नेता तीन घंटे तक लंबी चली मुलाकात के बाद गठबंधन के लिए तैयार हो गए। जयंत ने पार्टी के भविष्य के लिए कैराना से अपनी दावेदारी को छोड़ दिया।
इतना ही नहीं, जयंत ने अखिलेश के सुझाव पर एसपी नेता तबस्सुम हसन को आरएलडी के सिंबल पर चुनाव लड़ाना भी तय कर लिया। गठबंधन बनाने के लिए पहल करने से लेकर, स्थानीय बागी नेताओं को साधने और जमीनी स्तर पर गांव-गांव जाने तक जयंत चौधरी ने कैराना को जीतने के लिए कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ी।