/मायावती की काट के लिए कांग्रेस ने ढूंढ लिया मध्य प्रदेश का ‘जिग्नेश मेवाणी’!
मायावती की काट के लिए कांग्रेस ने ढूंढ लिया मध्य प्रदेश का 'जिग्नेश मेवाणी'!

मायावती की काट के लिए कांग्रेस ने ढूंढ लिया मध्य प्रदेश का ‘जिग्नेश मेवाणी’!

मायावती की काट के लिए कांग्रेस ने ढूंढ लिया मध्य प्रदेश का 'जिग्नेश मेवाणी'!

भोपाल। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बसपा के बीच गठबंधन को लेकर सारी संभावनाएं खत्म हो गई हैं। मायावती ने पिछले दिनों अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। ऐसे में राहुल गांधी दलित वोटों को साधने के लिए एमपी में गुजरात मॉडल को अपना रहे हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश का ‘जिग्नेश मेवाणी’ ढूंठ निकाला.

मध्य प्रदेश का ‘जिग्नेश मेवाणी’

कांग्रेस ने गुजरात में जिस तरह से जिग्नेश मेवाणी के जरिए राज्य में बीजेपी का कड़ा मुकाबला किया था। हालांकि बसपा भी यहां अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी। अब उसी तर्ज पर मध्य प्रदेश में दलित युवा नेता देवाशीष जरारिया को पार्टी ने अपने साथ मिला लिया है। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व में जरारिया ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। जरारिया को मध्य प्रदेश का ‘जिग्नेश मेवाणी’ कहा जाता है।

पहले बसपा, अब कांग्रेस में

दरअसल, देवाशीष जरारिया पहले बसपा में ही थे। बसपा के साथ युवाओं को जोड़ने की कवायद देवाशीष ने शुरू की थी। वे बसपा की ओर से टीवी डिबेट में हिस्सा लेते थे, इसके जरिए जरारिया ने अपनी राजनीतिक पहचान बनाई है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कांग्रेस में शामिल होने का मकसद मध्य प्रदेश की जनता को 15 साल के भाजपा के शासन से मुक्ति दिलाना है। मध्य प्रदेश का ‘जिग्नेश मेवाणी’ कहे जाने वाले जरारिया ने कहा कि वो दलित-आदिवासी भाइयों को इंसाफ दिलाने के लिए उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन किया है।

15% दलित और 21% आदिवासी मतदाता

तकरीबन 15 फीसदी दलित और 21 फीसदी आदिवासी मतदाताओं पर मध्य प्रदेश का ‘जिग्नेश मेवाणी’ कहे जानेवाले जरारिया का कितना असर पड़ेगा ये वक्त बताएगा. दरअसल बसपा का मुख्य आधार दलित मतों पर है. राज्य में 25 विधानसभा सीटें ऐसी है जिन पर बसपा जीत हार का फैसला करती है. 2013 में मध्य प्रदेश में बीएसपी ने 230 में से 227 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. बसपा को 6.42 फीसदी वोट मिले थे, और 4 सीटों पर कामयाबी मिली थी. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच 8.4 फीसदी वोट शेयर का अंतर था. बीजेपी को 165 और कांग्रेस को 58 सीटें मिली थी. यूपी से सटे इलाकों में बीएसपी की अच्छी पकड़ है.