/‘बाबा चौकसी’ ने कह दिया, ‘जब बैंक वाले ही ढीले थे तो मैं क्या करता?’
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‘बाबा चौकसी’ ने कह दिया, ‘जब बैंक वाले ही ढीले थे तो मैं क्या करता?’

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दिल्ली। मुंबई हो या फिर दिल्ली, अमेरिका हो या फिर एंटीगुआ, ‘बाबा’ मेहुल चौकसी एकदम ‘चौकस’ हैं. एंटीगुआ से भी सरकार और बैंक पर ‘बरोबर’ दबाव बनाए हुए हैं. पंजाब नेशनल बैंक के करीब 14 हजार करोड़ की जालसाजी के आरोप में चौकसी को हिन्दुस्तान की सारी ‘टॉप’ की एजेंसियां ढूंढ रही है. मगर मेहुल चौकसी सर्व विद्यमान है, सर्वविदित है.

‘चुनाव की वजह से दबाव में सरकार’

टेलीविजन के जरिए मंगलवार शाम को ‘चौकसी साहब’ अवतरित हुए और कह दिया कि आगामी लोकसभा चुनाव की वजह से केंद्र सरकार दबाव में है. घोटाले के लिए बैंकों की ढिलाई जिम्मेदार थी. उन्होंने अपनी कमी छिपाने के लिए मेरा नाम इस मामले में घसीट दिया. देश लौटने के सवाल पर मेहुल ने कहा कि जैसे बुरे दिन आए हैं, वैसे ही अच्छे दिन भी आएंगे. चुनाव आ रहा है इसलिए निशाना बनाया जा रहा है. सरकार पर दबाव है कि बैंक डिफॉल्टरों में से किसी एक को देश में लाया जाए. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो चुनाव इधर से उधर हो सकता है. मैं अपने प्रधानमंत्री का बहुत सम्मान करता हूं. सरकार पर मेरा विश्वास है. हो सकता है ऐसा लाखों-करोड़ों लोगों की भलाई के लिए किया जा रहा हो.

मेहुल चौकसी ने कहा कि बैंकों के सिस्टम में काफी गड़बड़ियां थीं. रिकॉर्डिंग सिस्टम में भी खराबी थी. अगर सही तरह से सबकुछ होता तो घोटाले के लिए जिम्मेदार लोगों की संख्या काफी ज्यादा हो सकती थी. इनमें बैंक के अधिकारी भी शामिल होते. लेकिन केवल हम लोगों को निशाना बनाया जा रहा है. बैंकों ने अपनी गड़बड़ियां छिपाने के लिए मुझे टारगेट किया. चौकसी ने कहा कि जब उनपर आरोप लगाया गया तो वो चौंक गए. तब अमेरिका में था. बिना जांच किए तीसरे दिन ही छापेमारी शुरू कर दी गई. मेरा पूरा कारोबार एक दिन में ठप पड़ गया. मेरे सभी खाते सील कर दिए गए. पीएनबी मेरा सबसे बड़ा फाइनेंसर था.

एंटीगुआ की नागरिकता, नो टेंशन

मेहुल चौकसी ने जांच एजेंसियों और जांच के तरीकों पर भी सवाल उठाए. उसने कहा कि मेरी कंपनी 1964 में बनी, 50 साल पुरानी कंपनी है. इतने साल तक कोई जांच क्यों नहीं हुई. मैंने जो कुछ भी सीखा है, बैंकों की ढिलाई की वजह से ये सबकुछ हुआ. बैंकों में एक साल के भीतर 25-30 ऑडिट होते हैं. इतने साल तक मैं बैंक के साथ काम कर रहा हूं, तो कोई रिपोर्ट नहीं आती. 6 हजार लोग मेरी कंपनी में काम करते थे. छापेमारी के बाद पूरी कंपनी बंद हो गई. बिना जांच के कार्रवाई हुई, ऐसा देश में पहली बार हुआ. मेरी सरकार से अपील है कि मेरी कंपनी के कर्मचारियों की ग्रैच्युटी उन्हें दें. करीब 600-700 दिव्यांग काम करते थे, सरकार को उनके भविष्य पर ध्यान रखना चाहिए.

एंटीगुआ का नागरिकता ले चुका मेहुल चौकसी ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जो भी आरोप लगाए हैं, वे गलत और बेबुनियाद है. उन्होंने मेरी संपत्ति गैरकानूनी तरीके से अटैच की है. एंटीगुआ की नागरिकता लेने की सवाल पर चौकसी ने कहा कि भारत सरकार ने मेरा पासपोर्ट रद्द कर दिया. जबकि मैं पासपोर्ट की बहाली चाहता था. मुझे पासपोर्ट ऑफिस से एक मेल मिला, जिसमें कहा गया था कि भारत के सामने मौजूद सुरक्षा खतरों के चलते मेरा पासपोर्ट निलंबित कर दिया गया.

क्या है पीएनबी घोटाला मामला

13,500 करोड़ का पीएनबी घोटाला जनवरी में सामने आया था. इसी मामले में मेहुल चौकसी आरोपी है. फिलहाल वो एंटीगुआ में रह रहा है. सीबीआई उसके प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही है. इसी मामले में सह आरोपी नीरव मोदी लंदन में है. दोनों आपस में रिश्तेदार भी हैं. ईडी ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि मेहुल चौकसी और नीरव मोदी ने मिलकर फर्जीवाड़े की साजिश रची. दोनों पीएनबी से कर्ज लेते थे और आयात-निर्यात की आड़ में रकम का हेरफेर करते थे. मेहुल और नीरव ने 2011 से 2018 के बीच फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स (एलओयू) के जरिए विदेशी खातों में रकम ट्रांसफर की. प्रवर्तन निदेशालय इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रहा है.